जयपुर 24 फरवरी (वार्ता) राजस्थान विधानसभा में आज नागौर जिले में दलित के साथ मारपीट एवं अमानवीय व्यवहार किये जाने का मामला उठा।
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) के विधायक नारायण बेनीवाल और पुखराज गर्ग ने शून्यकाल में स्थगन प्रस्ताव के तहत यह मामला उठाया। श्री बेनीवाल ने यह मामला उठाते हुए जिले के पुलिस अधीक्षक को हटाने तथा क्षेत्र से संबंधित पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की।
उन्होंने कहा कि गत 16 फरवरी को दलित के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया और 19 फरवरी को पुलिस ने पीड़ित के परिजनों बुलाकर समझौता करने का प्रयास किया। इसके बाद सामान्य मारपीट का मामला दर्ज किया गया। उन्होंने सत्ता पक्ष के सदस्यों पर असंवेदनशील होने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस मामले को लेकर जब रालोपा के तीनों विधायक विधानसभा परिसर में धरने पर बैठे, तब सत्ता पक्ष के सदस्य पास से गुजर गये लेकिन एक ने भी नहीं पूछा कि यहां क्यों बैंठे हो, तब उनकी संवेदनशीलता कहां गई।
उन्होंने सरकार से मांग की कि जिस तरह दलित का उत्पीड़न किया गया हैं उसे दुष्कर्म मानते हुए इस मामले में भी अलवर के थानागाजी मामले की तरह सहायता दी जानी चाहिए। इसके बाद श्री गर्ग ने भी स्थगन प्रस्ताव के तहत इसी मामले को उठाया और इस मामले में जिले के पुलिस अधीक्षक को हटाने एवं इस मामले में दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। उन्होंने पुलिस पर आरोप लगाया कि उसने पीड़ित परिजनों पर समझौते का दबाव बनाया और उनसे कहा कि वे बड़े आदमी है, आप छोटे आदमी हों। पीड़ित के परिवार पर चोरी का झूठा मुकदमा भी दर्ज कराया गया। उन्होंने पुलिस अधीक्षक को हटाने एवं दोषी पुलिसकर्मियों को निलंबित करने की मांग की।
इस दौरान प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने इस मामले को बेहद शर्मनाक बताते हुए कहा कि इस मामले की जानकारी मिलने के बाद आरोपियों के खिलाफ हल्की धारा में मामला दर्ज किया गया और उनके खिलाफ समय पर कार्रवाई कयों नहीं की गई। उन्होंने कहा कि अपराध किसी पार्टी का नहीं, इससे राजस्थान को शर्मिंदा होना पड़ा है, आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई। पुलिस की हिम्मत कैसे हुई कि उसने मामले में संबंधित धारा नहीं लगाई।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में जिस तरह एफआईआर दर्ज नहीं होने पर इसकी सरकार द्वारा जो व्यवस्था की गई हैं, क्या उसका यह नमूना सामने आया हैं।
जोरा
वार्ता