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नागरिकता संशोधन विधेयक संविधान की मूल आत्मा के खिलाफ : माले

पटना 09 दिसंबर (वार्ता) भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा-माले) ने संसद में पेश नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को संविधान की मूल आत्मा के विरुद्ध बताया और कहा कि इसके माध्यम से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस के हिंदू राष्ट्र के एजेंडे को लागू करने की कोशिश कर रही है।
भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि प्रबल विरोध के बावजूद केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन विधेयक को संसद में पेश कर दिया है। आज देश की समस्त जनता इसका पुरजोर विरोध कर रही है। विरोध की आवाज को भाजपा अनसुना कर रही है और आरएसएस के हिन्दू राष्ट्र के एजेंडे को लागू कराने की कोशिश करा रही है। इसके विरोध में पार्टी ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी), नागरिकता संशोधन विधेयक तथा देश में शिक्षा पर लगातार हो रहे हमले के खिलाफ 10 दिसंबर 2019 (मानवाधिकार दिवस) को बिहार में शिक्षा अधिकार-नागरिकता अधिकार मार्च आयोजित करने का निर्णय किया है।
श्री कुणाल ने कहा कि सरकार कह रही है कि इसके जरिये पड़ोसी देशों से आये गैर मुस्लिम उत्पीड़ित शरणार्थी भारत की नागरिकता के लिए अब आवेदन कर सकेंगे। विधेयक में नागरिकता प्रदान करने का आधार धर्म और क्षेत्रीय पहचान को बनाया गया है। यह देश के संविधान की मूल आत्मा के खिलाफ है। इसका असली उद्देश्य भारतीय नागरिकता की परिभाषा में से मुसलमानों को बाहर करना है।
सूरज
जारी (वार्ता)
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