राज्यPosted at: Sep 25 2018 11:52PM निजी स्कूल वाहनों में लगे जीपीएस व सीसीटीवी कैमरे: उच्च न्यायालय
नैनीताल 25 सितम्बर (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी के काठगोदाम में स्कूल वैन में एक मासूम के साथ हुए यौन उत्पीड़न के मामले को गंभीरता से लेते हुए मासूमों की सुरक्षा के लिये कुछ महत्वपूर्ण निर्देश जारी किये हैं।
उच्च न्यायालय ने प्रदेश के सभी निजी स्कूलों को निर्देश दिये हैं कि वे बच्चों को लाने-लेजाने वाले वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगायें। साथ ही बच्चों की सुरक्षा के लिये लाने व लेजाने के लिये पुरुष कर्मचारियों के बजाय महिला कर्मचारियों की नियुक्ति करें।
इस मामले में अकलीमा परवेज की ओर से एक जनहित याचिका दायर की गयी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि नैनीताल में अपराध बढ़ रहे हैं। खासकर मासूम बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न की घटनायें बढ़ी हैं। निजी स्कूलों में मासूम बच्चों की सुरक्षा खतरे में है। हाल ही में हुयी यौन उत्पीड़न की घटना में स्कूल प्रबंधन की लापरवाही व असंवेदनशीलता सामने आयी है।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि मासूमों के उत्पीड़न के मामले को दबाने के लिये अज्ञात लोगों की ओर से उसके अभिभावकों को धमकाया भी गया है। मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने गंभीर रूख अपनाते हुए संबंधित स्कूल प्रबंधन के खिलाफ 48 घंटे में मामला दर्ज करने को कहा है।
साथ ही पीठ ने प्रदेश के सभी निजी स्कूलों को निर्देश दिया कि बच्चों को लाने ले जाने वाले वाहनों में जीपीएस सिस्टम के साथ ही सीसीटीवी कैमरे लगाये जायें। पीठ ने कहा कि निजी स्कूलों में सभी परिसरों खासकर सभी संवेदनशील स्थान सीसीटीवी से आच्छादित हों।
इसके साथ ही पीठ ने स्कूलों को निर्देश दिये कि बच्चों को इलैक्ट्रोनिक चीप लगे परिचय पत्र आवंटित किये जायें ताकि अभिभावक बच्चों की सुरक्षा व उनकी लोकेशन का पता कर सकें। पीठ ने यह भी निर्देश दिये कि बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए लाने व ले जाने के लिये पुरूष की जगह महिला कार्मिकों की तैनात करें। साथ ही मासूम बच्चों को लाने व छोड़ने की जानकारी अभिभावकों को एसएमएस से प्रदान की जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका को पूरी तरह से निस्तारित कर दिया।
सं, रवि
वार्ता