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न्यायालय गंगा रिपोर्ट दो अंतिम प्रयागराज

उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने इस संबंध में केंद्र सरकार से कार्य योजना की जानकारी मांगी थी लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक कोई जानकारी नहीं दी है। राज्य सरकार से भी गंगा में गिर रहे नालों और एसटीपी के संचालन के संबंध में जवाबी हलफनामा मांगे गए थे। उसका भी जवाब दाखिल नहीं किया गया है। गंगा में एसटीपी से शुद्ध हुए पानी में बायोकेमिकल पालीफार्म गंगा जल में मिलकर प्रदूषण फैला रहा है। शोधित जल को गंगा में न गिराकर अन्यत्र ले जाया जाये। प्रयागराज में छह एसटीपी स्थापित है जो ठीक से काम नहीं कर रहे। 83 नालों में से 43 नाले सीधे गंगा में गिर रहे हैं। कानपुर में चर्म उद्योगों के स्थानांतरित करने के मामले में भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है और चर्म उद्योगों का गंदा पानी सीधे गंगा जी में आ रहा है।
गुप्ता का कहना था कि ट्रीटमेंट के बाद भी पानी गंगा में प्रदूषण बढ़ाने का कारण है जिस पर न्यायालय ने उनसे
विशेषज्ञों की सूची मांगी जो जांच करेंगे कि गंगा में जा रहा ट्रीटेड पानी क्या प्रदूषित है और उसे अन्य उपयोग में लाया जा सकता है। इस पर गुप्ता ने बताया कि कोर्ट ने प्रदूषित शोधित पानी को गंगा के उस पार अन्य कार्यों में लिए जाने का योजना तैयार करने को कहा था लेेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई है। प्रयागराज में ही ओमेक्स सिटी की तरफ से कहा गया कि सिटी लगभग बनकर तैयार है ।लेकिन बिना किसी वैज्ञानिक आधार के 28 मार्च 2011 व 22 अप्रैल 2011 को गंगा के उच्चतम बाढ बिंदु से 500 मीटर के भीतर किसी प्रकार के निर्माण पर रोक लगा दी गई है।
कोर्ट ने इस मुद्दे पर अगली तिथि को विचार करने का कहा है। याचिका पर यमुना में प्रदूषण का मुद्दा भी उठाया गया । कहा गया कि हथिनी कुंड बैराज से पानी यमुना में नहीं आ रहा है ।इसके बाद यमुना मे पानी नहीं रहता। दिल्ली के शाहदरा नाले व चंबल, बेतवा नदियों का ही पानी यमुना में आ रहा है । यमुना को शोधित किए बगैर गंगा को साफ रखने की कल्पना बेमानी है। कोर्ट ने इस मुद्दे पर भी अगली तिथि पर विचार करने को कहा है।
राज्य सरकार के अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता शशांक शेखर सिंह ने अदालत को बताया कि गंगा में एटीपी से जो
शोधित पानी डाला जा रहा है ,वह पूरी तरह से शुद्ध है ।और वह प्रदूषण नही फैला रहा है और सरकार की कोशिश है कि सभी नालों को एसटीपी में शोध करने के बाद ही गंगा में डाला जाए ।कोर्ट ने प्रयागराज के आस-पास शव-दाह स्थलों के संख्या की जानकारी मांगी है और पूछा है कि ऐसे शव-दाह स्थलों की निगरानी और देखरेख किसके द्वारा की जा रही है। अगली सुनवाई तीन जनवरी को होगी।
सं प्रदीप
वार्ता
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