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दुनिया


न्यायसंगत, शांतिपूर्ण, समृद्ध विश्व के लिए सुस्थापित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था जरूरी :बिरला

बेलग्रेड, 14 अक्तूबर (वार्ता) लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने न्यायसंगत, शांतिपूर्ण तथा समृद्ध विश्व के लिए सुस्थापित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था कायम करने और इसके लिए लोकतांंत्रिक देशों की संसद की भूमिका का अधिक प्रभावी बनाने की आवश्यकता व्यक्त की है।
सर्बिया की राजधानी बेलग्रेड में अंतर संसदीय संघ की 141वीं बैठक में भारतीय संसदीय शिष्टमंडल का नेतृत्व कर श्री बिरला ने आज अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का सुदृढ़ीकरण : संसद की भूमिका और तंत्र तथा क्षेत्रीय सहयोग का योगदान’ विषय पर सभा को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि एक न्यायसंगत, शांतिपूर्ण तथा समृद्ध विश्व के लिए सुस्थापित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था जरूरी है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के दस्तावेजों के हस्ताक्षरकर्ता होने के नाते हर देश को अपने-अपने क्षेत्रों में इनक क्रियान्वयन सुनिश्चित करना होता है।
श्री बिरला ने कहा कि भारत के संविधान में अंतरराष्ट्रीय संधि की प्रतिबद्धताओं को बाध्यकारी माना गया है और संविधान के अनुच्छेद 51 में निर्धारित किया गया है कि भारत अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देगा, राष्ट्रों के बीच न्यायसंगत और सम्मानपूर्ण संबंधों को बनाए रखेगा, अंतरराष्ट्रीय विधि और संधि दायित्वों के प्रति आदर बढ़ाने का कार्य करेगा और अंतरराष्ट्रीय विवादों का निपटान मध्यस्थता के द्वारा किए जाने को प्रोत्साहित करेगा।
उन्होंने कहा कि संसद अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को लागू करने के लिए आवश्यक कानून पारित करने, उनके लिए बजट अनुमोदित करने और अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में सरकारों के संकल्प का सम्मान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। उन्होंने कहा कि हाल ही में अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों को सुदृढ़ करने में संसदीय राजनय की भूमिका बढ़ी है और इससे संसदों को विकास का एजेंडा लोगों तक पहुंचाने और इस प्रकार जनता की सहमति प्राप्त करने तथा अनौपचारिक क्षेत्र में भाईचारे और मिलनसारिता को बढ़ावा देकर आपसी संबंधों को मजबूत बनाने और लोगों के बीच आपसी समझ को बढ़ाने के अवसर प्राप्त होते हैं।
श्री बिरला ने कहा कि संसद एक पारदर्शी संस्था है और इस पारदर्शिता से देशवासियों को अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों के कामकाज के बारे में जानकारी प्राप्त होती है, विधायी प्रक्रियाओं में शामिल होने में मदद मिलती है और सांसदों को जवाबदेह और जिम्मेदार ठहराने का अधिकार मिलता है।
सांसद को जनता और सरकार के बीच संवाद का माध्यम बताते हुए श्री बिरला ने कहा कि लोगों के निर्वाचित प्रतिनिधि होने के नाते विधायकों के पास यह अवसर होता है कि राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर बातचीत को बढ़ावा देने के साथ साथ संसदीय कार्यवाहियों और कार्यपालिका की पहलों के बारे में जानकारी प्रदान करते हुए लोगों के संपर्क में रहें।
श्री बिरला ने संसदीय राजनय को बढ़ावा देने में अंतर संसदीय संघ द्वारा निभाई जा रही सक्रिय भूमिका की सराहना की और कहा कि संसदों का विश्व संगठन होने के नाते अंतर संसदीय संघ विश्व के समक्ष उपस्थित महत्वपूर्ण मुद्दों पर “विश्वव्यापी संसदीय वार्ता का केन्द्रबिन्दु “ बन गया है।
उन्होंने यह रेखांकित किया कि अंतर संसदीय संघ देशों के बीच “शान्ति और सहयोग” के लिए तथा मजबूत लोकतान्त्रिक संस्थाओं की स्थापना के लिए कार्यरत है। उन्होंने कहा कि इसके द्वारा निर्धारित एजेंडा का अनुपालन करते हुए एक सुविचारित जनमत तैयार किया जाता है। इस प्रकार अंतर संसदीय संघ एक क्षेत्र के सांसदों को एक मंच पर लाकर क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
सचिन.श्रवण
वार्ता
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