नयी दिल्ली, 21 सितंबर (वार्ता) केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने गुरुवार को एक ऑनलाइन कार्यक्रम के माध्यम से इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) वारंगल के 18वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया और एक महिला हॉस्टल सहित चार भवनों का शिलान्यास किया।
डॉ. निशंक ने कहा, “देश के पहले प्रधानमंत्री ने 10 अक्टूबर 1959 को एनआईटी वारंगल की आधारशिला रखी थी। संस्थान ने हाल ही में देश सेवा के अपने 61 वर्ष पूरे किये हैं। अन्य आईआईटी और एनआईटी की तरह, यह संस्थान स्वायत्त रूप से कार्य करता है, और राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में इसकी विशेष स्थिति एनआईटी के सुचारू रूप से चलने की सुविधा प्रदान करती है। यह अपना स्वयं का पाठ्यक्रम बना सकता है और शैक्षिक आवश्यकताओं में अनुकूलित बदलाव तेजी से कर सकता है।”
एनआईटी वारंगल के 18वें दीक्षांत समारोह में 112 छात्रों को पीएचडी की डिग्री, 663 छात्रों को एम टेक, एमएससी (प्रौद्योगिकी), एमएससी, एमबीए एवं एमबीए की डिग्री और 848 छात्रों को बी टेक की डिग्री प्रदान की गई।
एनआईटी वारंगल की विशेष स्थिति का उल्लेख करते हुए डॉ. निशंक ने आगे कहा कि उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए संस्थान की सीनेट द्वारा शैक्षणिक नीतियों, शिक्षण, प्रशिक्षण और अनुसंधान गतिविधियों की समीक्षा की जाती है। इस संस्थान में सभी एनआईटी के मुकाबले सबसे ज्यादा शिक्षक हैं, जिसमें पिछले दो वर्षों के दौरान भर्ती किए गए लगभग 140 शिक्षक शामिल हैं जिन्हें कड़ी भर्ती प्रक्रिया का पालन करते हुए नियुक्त किया गया है।
उन्होंने नई शिक्षा नीति (एनईपी) के बारे में सभी को अवगत करवाया और कहा, 07 अगस्त को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा आयोजित एनईपी 2020 पर कॉन्क्लेव के उद्घाटन सत्र के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था “प्रत्येक देश अपने राष्ट्रीय मूल्यों और लक्ष्यों के अनुसार अपनी शिक्षा प्रणाली में सुधार करें। अंतिम लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि युवा भविष्य के लिए तैयार है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य 21वीं सदी के भारत में शिक्षा प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन और उसको पुनर्जीवित करना है। इस नीति का कार्यान्वयन विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित में सभी को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान कर के एक न्याय संगत और जीवंत ज्ञान समाज को परिवर्तित कर के एक नए भारत के सपने को आकार दे सकता है।”
उन्होंने आगे कहा, “यह नीति वैज्ञानिक और संवैधानिक मूल्यों, बौद्धिक जिज्ञासा, वैज्ञानिक स्वभाव, रचनात्मकता, विज्ञान की सेवा के क्षेत्र में विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला, मानविकी, भाषाओं के साथ-साथ व्यावसायिक, तकनीकी और व्यावसायिक विषयों के विकास की भी परिकल्पना करती है। एनईपी 2020 का विज़न और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास के प्रति प्रतिबद्धता और नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) का गठन करना है ताकि विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अनुसंधान के लिए फंडिंग की जा सके।”
उन्होंने पंडित मदन मोहन मालवीय शिक्षण और अध्ययन केंद्र, विश्वेश्वरैया सेंटर फॉर स्किल डेवलपमेंट, सरदार वल्लभाई पटेल अतिथि गृह और रुद्रमा देवी लेडीज हॉस्टल कॉम्प्लेक्स का भी शिलान्यास किया।
आजाद, उप्रेती
वार्ता