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नलिनी मामले में वकीलों के बहिष्कार की सिद्दारमैया ने कड़ी निंदा की

मैसुरू, 22 जनवरी (वार्ता) कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने बुधवार को मैसुरू एडवाेकेट एसोसिएशन के उस प्रस्ताव की कड़ी निंदा की है जिसमें “ फ्री कश्मीर” के नारे की तख्ती हाथ में लेकर प्रदर्शन करने वाली लड़की नलिनी बालाकुमार का केस नहीं लड़ने का फैसला किया गया है। हालांकि कुछ वकीलों ने इस फैसले को अवैध फरमान करार देते हुए नलिनी का केस लड़ने का निर्णय लिया है।
श्री सिद्दारमैया ने यहां पत्रकाराें से बातचीत करते हुए कहा, “ इस तरह का प्रस्ताव परित करना ‘ असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक और पेशेवर आचरण के विपरीत है और वह उन वकीलों के साथ खड़े हैं जिन्होंने एसोसिएशन के इस फैसले को ‘अवैध फरमान’ करार देते हुए नलिनी के पक्ष में वकालतनामे पर हस्ताक्षर किए हैं। जिन वकीलों ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं उन्हाेंने सही काम किया है।”
उन्हाेंने कहा , “ नलिनी का फ्री कश्मीर की तख्ती लेकर प्रदर्शन करना देशद्रोह कहां से हो गया है और पुलिस ने उस पर जो केस किया है उसमें त्रुटि है।” उन्होंने इस तरह के एक मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय की एक कार्यवाही का जिक्र करते हुए कहा कि न्यायाधीश ने उस केस में सरकारी वकील से पूछा था कि क्या उन्हाेंने संविधान काे पढ़ा है। उन्होंने नलिनी के प्रदर्शन करने के अधिकार को जायज ठहराते हुए कहा कि इस तरह तख्ती लेकर प्रर्दशन करना किस तरह राष्ट्रविरोधी है जबकि पूरे कश्मीर में आपातकाल था और निषेधाज्ञा लगी थी और नलिनी ने गलत बात को गलत ही कहा था। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “ अगर आप अपनी बात कहते हैं तो क्या वे आपको राजद्रोह के मामले में बुक कर सकते हैं।”
नलिनी का केस लड़ने वाले वकीलों के खिलाफ अनुशासात्मक कार्रवाई की धमकी को अवैध करार देते हुए श्री सिद्दारमैया ने कहा कि इस तरह की कार्रवाई से कानून प्रभावित नहीं होगा और इसे अदालत खारिज कर देगी।
श्री सिद्दारमैया ने एसोसिएशन के प्रस्ताव को ‘राजनीतिक’ करार देते हुए उन्होंने वकीलों की ‘गुंडागर्दी’ का जिक्र किया जिसमें उन्होंने राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष मंजुला मनासा के साथ कथित रूप से धक्का मुक्की की थी।
जितेन्द्र, रवि
वार्ता
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