नयी दिल्ली, 20 मई (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि पेगासस जासूसी मामले की अंतिम जांच रिपोर्ट जून तक आने की संभावना है।
मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना और न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने जनहित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त एक तकनीकी विशेषज्ञ समिति इस महीने के अंत तक अपनी रिपोर्ट सौंप सकती है।
पीठ ने कहा कि समिति के कामकाज की देखरेख कर रहे न्यायमूर्ति आर. वी. रवींद्रन उस रिपोर्ट की अपने स्तर पर जांच के बाद जून तक अंतिम रिपोर्ट अदालत के समक्ष पेश कर सकते हैं। इसके लिए अदालत ने समिति को और अतिरिक्त समय दिया है।
पीठ ने कहा कि जांच समिति ने एक अंतरिम रिपोर्ट अदालत में पेश की है, जिसमें 29 मोबाइल फोन उपकरणों की जांच की बात कही गई है। शीर्ष अदालत ने कहा कि विशेषज्ञ समिति ने जांच के लिए अपना सॉफ्टवेयर विकसित किया है तथा 29 मोबाइलों की जांच की है।
जांच समिति ने सरकार और पत्रकारों सहित विभिन्न एजेंसियों को भी नोटिस जारी किए हैं। इसने अपनी रिपोर्ट जमा करने के लिए समय मांगा है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत से अंतरिम रिपोर्ट उपलब्ध कराने की गुहार लगाई, लेकिन अदालत इस पर गौर नहीं किया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कपिल सिब्बल की मांग का विरोध करते हुए कहा कि यह केवल एक अंतरिम रिपोर्ट है।
अदालत ने समिति से इस मामले की जांच में तेजी लाने लाने का निर्देश दिया। इस मामले की अगली सुनवाई जुलाई में होगी।
सर्वोच्च अदालत ने जासूसी के आरोपों की जांच के लिए 27 अक्टूबर 2021 को न्यायमूर्ति रवींद्रन की देखरेख में एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। एक अंतरराष्ट्रीय जांच एजेंसी ने 18 जुलाई, 2021 को दावा किया था कि कई भारतीय मंत्री, राजनेताओं, कार्यकर्ता, अधिकारियों, व्यवसायियों और पत्रकारों के मोबाइल फोन की जासूसी इजरायली सॉफ्टवेयर के जरिए की गई थी। एजेंसी ने इजरायल की निजी कंपनी एनएसओ ग्रुप के फोन हैकिंग सॉफ़्टवेयर से 50,000 मोबाइल फोन नंबरों की जासूसी की संभावना व्यक्त की थी।
इस मामले में केंद्र सरकार के हाथ होने की आशंका व्यक्त करते हुए शीर्ष अदालत में कई जनहित याचिकाएं दायर की गई थी।
बीरेंद्र.श्रवण
वार्ता