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पेड़ों की कटाई से पारिस्थितिकी अंसतुलन: जावड़ेकर

पेड़ों की कटाई से पारिस्थितिकी अंसतुलन: जावड़ेकर

नयी दिल्ली, 23 अक्टूबर(वार्ता) केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि प्रकृति के साथ अब तक बहुत अन्याय हुआ है और अन्धाधुंध तरीके से पेड़ों को काटे जाने से पारिस्थितिकी संतुलन में जबर्दस्त बदलाव आने से प्राकृतिक वातावरण पर प्रतिकूल असर पड़ा है।

श्री जावड़ेकर ने बुधवार को यहां हिम चीतों पर चौथी ‘ग्लोबल स्नो लेपर्ड इॅकालाजिकल प्रोग्राम’(जीएसएलईपी) बैठक को संबोधित करते हुए यह बात की। उन्होंने कहा कि हिम चीते मंगोलिया, चीन, किर्गिस्तान और भारत के हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाते हैं लेकिन इनके संरक्षण के लिए अब तक कोई बेहतर प्रयास नहीं किए जाने से यह प्रजाति संकटापन्न जीवों की श्रेणी में आ गई है।

उन्होंने कहा कि 20 वर्ष पहले भारत में बाघ को बचाने की मुहिम बड़े पैमाने पर शुरु की गई थी और आज उसी का परिणाम है कि देश में बाघों की संख्या बढ़कर 2967 तक हो गई है और जो प्रयास हिम चीतों को बचाने के लिए किए जा रहे हैंं उससे अगले दशक तक इनकी संख्या बढ़कर दोगुनी हो जाएगी। इस मौके पर उन्होंने भारत मेेें हिम चीतों की आबादी का आकलन करने के लिए एक ‘नेशनल प्रोटोकाल ’भी जारी किया।

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि प्रकृति का संरक्षण करने से ही जलवायु परिवर्तन की समस्या से लड़ा जा सकता है और बर्फीले क्षेत्रों में पाए जाने वाले हिम चीतों को बचाने के लिए ही हम सब यहां एकत्र हैं और हम सभी को यह प्रण लेना चाहिए ताकि जंगलों में कोई भी असंतुलन पैदा नहीं हो क्योंकि जब प्रकृति ठीक होगी तभी हम इन वन्य जीवों को संरक्षित कर सकेंगे । श्री जावड़ेकर ने कहा कि भारत इस दिशा में अहम भूमिका निभाएगा और हर तरह से क्षमता निर्माण करेगा तथा सभी को साथ लेकर चला जाएगा।

गौरतलब है कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तत्वावधान में देश में पहली बार चौथी जीएसएलईपी बैठक का आयोजन किया जा रहा है। इससे पहले किर्गिस्तान ने 2018 में तीसरी जीएसएलईपी बैठक का आयोजन किया था। इस दो दिवसीय बैठक में चीन , रूस , अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान, मंगोलिया , नेपाल ,भूटान , उज्बेकिस्तान और कजाकस्तान के अलावा अन्य देशों के प्रतिनिधि भी हिस्सा ले रहे हैं।

भारत में हिम चीते जम्मू कश्मीर , हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड़, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में बर्फीले क्षेत्रों में पाए जाते हैं। देश में वन जीव संबंधी कड़े कानून होने के बावजूद बड़े पैमाने पर शिकार किए जाने से हिम चीतों की संख्या में गिरावट दर्ज की जा रही है।

इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर की रेड लिस्ट में हिम चीते को संकटापन्न प्रजाति में शुमार किया गया है और वर्ष 2003 में विश्व में इनकी संख्या छह हजार थी।

जितेन्द्र आशा

वार्ता

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