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पेयजल निगम अधिकारी पर घूस के आरोपों के मामले में हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

नैनीताल, 17 फरवरी, (वार्ता) उत्तराखंड पेयजल निगम के अधिशासी अभियंता इमरान अहमद पर कथित रूप से लगे घूस के आरोपों के मामले में दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने सोमवार को पेयजल निगम एवं अन्य पक्षकारों को तीन सप्ताह में जवाब देने को कहा है। साथ ही आरोपी इमरान अहमद एवं पेयजल निगम के प्रबंध निदेशक को नोटिस जारी किये हैं।
देहरादून निवासी सुहैल सैफी की ओर से दायर जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ में आज सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता रजत मित्तल ने बताया कि राज्य पेयजल निगम में भ्रष्टाचार को लेकर जनहित याचिका दायर की गयी है। अधिशासी अभियंता इमरान अहमद के खिलाफ एक पेयजल योजना के मामले में घूस के आरोप हैं।
श्री मित्तल ने बताया कि आरोपी इमरान ने एक पेयजल योजना के लिये ठेकेदार से 15 लाख रुपये की घूस की मांग की। यह मामला जब यू ट्यूब पर प्रसारित हुआ तो प्रदेश सरकार हरकत में आयी और उसने आरोपी अधिशासी अभियंता को निलंबित कर दिया। इसके बाद आरोपी ने सरकार के निलंबन आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी। श्री मित्तल ने बताया कि उच्च न्यायालय ने पेजयल निगम के सचिव के आदेश को यह कहकर निरस्त कर दिया कि निलंबन आदेश प्रबंध निदेशक की ओर से जारी नहीं किये गये हैं। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि पेयजल निगम में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के मामले में इमरान के साथ-साथ प्रबंध निदेशक की भी भूमिका है और पूरे मामले की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से करायी जाये।
श्री मित्तल ने बताया कि याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को यह भी बताया गया कि अधिशासी अधिकारी के खिलाफ घूस मांगे जाने के पर्याप्त सुबूत हैं और फोरेंसिक जांच से भी सुबूतों की पुष्टि होती है। अंत में अदालत ने मामले का संज्ञान लेते हुए पेयजल निगम एवं अन्य पक्षकारों को तीन सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है और प्रबंध निदेशक एवं आरोपी इमरान अहमद को नोटिस जारी किये हैं। इससे पहले अदालत ने पेयजल निगम को भी पक्षकार बनाने के निर्देश दिये थे।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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