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प्राकृतिक आपदा से बरबाद हुई फसल के मुआवजे को लेकर छलका किसानों का दर्द

जालौन 19 सितंबर(वार्ता ) उत्तर प्रदेश जालौन जनपद में बेतवा नदी और यमुना नदी में आई बाढ़ से हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि में बोई गई खरीफ की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई है । घर और सामान की बरबादी के साथ फसल की बरबादी ने किसानों की कमर तोड़ दी है । ऐसे में राहत के नाम पर शासन की ओर से दी जानी वाली राशि उनके इस बड़े नुकसान में केवल “ऊंट के मुंह में जीरा” कहावत को ही चरितार्थ करती नजर आती है।
जनपद में यमुना नदी एवं बेतवा नदी में आई भीषण बाढ़ से खरीफ की फसल में बोई गई तिल, ज्वार बाजरा, मूंग, उड़द और अरहर की फसल को भारी क्षति हुई है। डकोर विकासखंड के कुछ गांव के अलावा विकासखंड रामपुरा की जगम्मनपुर उमरी सहित यमुना तट गांव में खरीफ की फसल नष्ट हो गई है किंतु विधानसभा कालपी के विकासखंड महेवा के गांव में यमुना नदी की बाढ़ की विभीषिका इतनी अधिक थी कि पडरी, मगरोल, निभाना, नरहन उरकरा, देवकली, हीरापुर, मेनू पुर ,महेवा और हथनोरा सहित दों दर्जन से अधिक गांव में बोई गई खरीफ की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई है ।
इन गांव के किसानों हरदेव सिंह, हरचरण सिंह, कंधई सिंह, तेज सिंह, राम चरण, भजन जयसिंह ,जीत सिंह और नीरज सहित कई किसानों ने बताया कि शासन और प्रशासन द्वारा प्रचार किया जा रहा है जनपद में आई दैवीय आपदा में नष्ट हुई फसल की क्षतिपूर्ति अवश्य की जाएगी ।किसानों का आरोप है कि अभी तक देवी आपदा के नाम पर जो राहत मिलती थी यदि उसके लिए ऊंट के मुंह में जीरा कहा जाए तो अतिशयोक्ति ना होगी। बाढ़ से पीड़ित किसान इस बात के लिए चिंतित हैं शासन एवं प्रशासन द्वारा राहत के नाम पर लंच पैकेट तो बांटे जा रहे हैं किंतु बाढ़ में जो खरीफ की फसलें डूब गई हैं जिसके चलते पालतू जानवरों के लिए चारे का संकट पैदा हो गया है उस ओर बिल्कुल ही ध्यान नहीं दिया जा रहा है और यदि समय रहते शासन एवं प्रशासन से चारा एवं आज के लिए कोई ठोस प्रबंध ना किए गए तो निश्चित रूप से प्रभावित क्षेत्रों में पालतू जानवरों के लिए भी संकट पैदा हो जाएगा।
फसल नष्ट होने से क्षेत्रीय किसानों के सामने आर्थिक संकट भी पैदा हो गया है। किसानों का कहना है कि खरीफ की फसल की आमदनी से यह लोग रबी की फसल के लिए बीज और खाद का इंतजाम आसानी से कर लेते थे और बुवाई भी हो जाती थी किंतु बाढ़ के कारण खरीफ की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई है जिससे अब आर्थिक संकट पैदा हो गया है और इसके साथ-साथ भोजन एवं चारे का भी संकट पैदा हो गया है।
किसानों का आरोप है कि अभी बाढ़ के कारण शासन एवं प्रशासन के नुमाइंदे दौड़ दौड़ कर बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर रहे हैं, हमदर्दी दिखा रहे हैं किंतु बाढ़ खत्म होने के बाद हम लोगों की कोई भी सुध नहीं लेता है। फसल बीमा के बारे में किसानों ने बताया क्षेत्र किसान अभी इतना पिछड़ा है कि हर किसान ने अपनी फसल का बीमा नहीं करवाया है । जिन किसानों ने फसल का बीमा नहीं करवाया है वह तो सिर्फ भगवान का ही सहारा है। किसानों की इन चिंताओं पर जिलाधिकारी जालौन डॉक्टर मन्नान अख्तर ने कहा कि कृषि विभाग की अधिकारी एवं कर्मचारियों को सर्वे के लिए लगा दिया गया है साथ ही बीमा कंपनी को भी सक्रिय कर दिया गया है । बाढ़ से हुई क्षति का आकलन किया जाए जिससे किसानों के सामने आर्थिक संकट पैदा ना हो सके।
सं सोनिया
वार्ता
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