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प्रकृति ,संस्कृति और परम्पराओं के अनुकूल हो स्मार्ट शहर -उपराष्ट्रपति

प्रकृति ,संस्कृति और परम्पराओं के अनुकूल हो स्मार्ट शहर -उपराष्ट्रपति

जयपुर ,26 सितम्बर(वार्ता) उपराष्ट्रपति एम वैंकया नायडु ने कहा है कि बढ़ते शहरीकरण के दवाब के कारण हमारे बेहतर भविष्य के लिए स्मार्ट सिटी प्रकृति,संस्कृति और परम्पराओं के अनुकूल हाेने के साथ ही इनमें शहरी अपशिष्ट के प्रबंधन का पर्याप्त बंदोबस्त होना चाहिए।

श्री नायडु ने आज यहां स्मार्ट सिटी एक्सपो 2018 के उद्घाटन के बाद आयोजित समारोह को सम्बोधित करते हुये कहा कि बढ़ते शहरीकरण के कारण प्रकृति पर अत्यधिक दवाब बढ़ गया है अत: स्मार्ट सिटी की अवधारण को पूरा करने के लिए नये शहरों का विकास प्रकृति और संस्कृति के साथ परम्पराओं को ध्यान मेें रख कर किया जाना चाहिए। उन्हाेंने कहा कि तेजी से हो रहे शहरीकरण के कारण शहरों की मूलभूत सुविधाओं पर दवाब बढ़ गया है। इससे हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। इस समस्या को ध्यान में रख कर ही सरकार ने स्वच्छ भारत की अवधारणा पर बल दिया है । उन्होंने कहा कि शहरों में बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये हमें मोटर रहित वाहनों के प्रयोग को बढ़ावा देना होगा साथ ही साईकिल से और पैदल चलने की आदत डालनी होगी।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी शहर के समुचित विकास के लिए तीन आवश्यक तत्व होते है जिनमें शहर के प्रशासक और निवासियों के साथ कुछ लोग असंतुष्ट होते है। उन्होंने कहा कि प्रशासकाें को चाहिए कि वह शहर के विकास के लिए सही योजनाएं बनाएं और जनता का दायित्व होता है कि वह समय पर नगरीय कर आदि जमा कराये साथ ही नगर के नियमों का पालन करे और अतिक्रमण एवं सुगम यातायात में बाधक न बने । उन्होंने कहा कि इसके अलावा नगर में कुछ लोग ऐसे होते है जाे किसी भी नयी बात का बिना वजह विरोध करते है। इस संदर्भ में श्री नायडु ने कहा कि स्मार्ट सिटी अवधारणा का भी कुछ लोगों ने यह कहकर विरोध किया है इतने बड़े देश में मात्र एक सौ स्मार्ट सिटी होने से क्या फर्क पड़ जायेगा। उनहोंने कहा कि तय किये गये स्मार्ट शहरों को देखकर अन्य शहरों को इससे प्ररेणा मिलेगी और वह अपने अपने आपकों स्मार्ट शहर की भांती बनाने का प्रयास करेंगे।

श्री नायडु ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कथन रिफार्म , परफार्म और ट्रांसफार्म का जिक्र करते के कहा कि हमें इसका पालन करना चाहिए। हम उदारवाद के दौर में जी रहे है मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया के माध्यम से हमने अवसरों के द्वार खोल दिये है और लालफीता शाही का स्थान लाल कालीन ने ले लिया है। आज हर काम आॅन लाइन हो गया है जिसके चलते पारदर्शिता आयी है और लाेगों को सीधा लाभ पंहुचा है। उन्होंने कहा कि बदलाव का यह क्रम और तेज होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शहर पसंद किये जाने लायक और आरामदायक होना चाहिए और समाज के हर आयु वर्ग की जरुरत को ध्यान में रखते हुये सुविधाओं का इंतजात होना जरुरी है।

भारतीय अर्थव्यवस्था का जिक्र करते हुये श्री नायडु ने कहा हमारी जीसटी लागू होने के बाद विश्व बैंक और मूडीज जैसी अनेक अन्तर्राष्ट्रीय वित्त संस्थाओं ने हमारी रेटिंग को बढ़ाया है और कहा कि यदि विकास की यही दर कायम रही तो आने वाले वर्षो में भारतीय अर्थ व्यवस्था विश्व में तेजी से बढ़ने वाली अर्थ व्यवस्था होगी। उन्होंन कहा कि हमें अगले 30 वर्षो के बारे विचार कर शहरों के विकास की बात करनी होगी। उन्होेंने कहा कि ‘मोर व्हीकल मोर टेंशन नीड मोर अटेंशन ’ अत इस बात को ध्यान में रखते हुये हमें योजनाएं बनानी हाेगी।

स्मार्ट सिटी में समाज के वर्गों की भूमिका के महत्व बारे में उन्होंने कहा कि इसे केन्द्र और राज्य के साथ साथ स्थानीय प्रशासन तथा कानून को मानने वाले नागरिकों की इसमें खासी भूमिका होगी। उन्होंने आज के युवाओं को सूचना तकनीक के प्रति जागरूक बताते हुये आह्वान किया कि युवा सूचना तकनीक के माध्यम से इसमे अपना योगदान दे सकते है।

इस अवसर पर दक्षिण आस्ट्रेलिया के गवर्नर हियु वान ली एसी , केन्द्रीय अावास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ,राजस्थान आवासन एवं शहरी विकास मंत्री श्रीचंद कृपलानी, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अरुण चतुर्वेदी और जयपुर के महापौर अशोक लाहोटी भी उपस्थित थे।

आज से शुरु हुये इस तीन दिवसीय स्मार्ट सिटी एक्सपो में दुनियाभर के 20 देशों से आये स्मार्ट सिटी विशेषज्ञ और प्रतिनिधि वर्तमान में शहरों के नगर नियोजन , क्षमता प्रबंधन , सामाजिक विकास और आर्थिक विकास आदि मामलों में आ रही चुनौतियों के संसाधनों पर चर्चा करेंगे। एक्सपो में विभिन्न सरकारों , कम्पनियों ,उद्यमियों और कॉरपोरेट सेक्टर को आपस में चर्चा का मौका मिलेगा।

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