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लोकरुचि


पुष्प तेजोमहल में दर्शन देंगे कान्हा

पुष्प तेजोमहल में दर्शन देंगे कान्हा

मथुरा, 20 अगस्त (वार्ता) श्रीकृष्ण जन्मस्थान के भागवत भवन में अनूठे तरीके से बनाए गए ‘पुष्प तेजोमहल’ में विराजमान होकर ठाकुर इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भक्तेां को दर्शन देंगे।

वैसे तो जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण जन्मस्थान स्थित केशवदेव मंदिर, गर्भगृह मंदिर के साथ ही अन्य मंदिरों को नयनाभिराम तरीके से सजाया जाएगा तथा इस बार तो रंग बिरंगे अनूठे प्रकाश से जन्मस्थान इस महापर्व पर जगमग होगा। अभिषेक का मुख्य कार्यक्रम भागवत भवन में होने के कारण इसे अकल्पनीय तरीके से सजाया जाएगा।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास के सचिव कपिल शर्मा ने मंगलवार को बताया कि श्रीकृष्ण-जन्मभूमि के संपूर्ण परिसर को अद्भुत कलात्मकरूप से सजाया जा रहा है। अवसर की महत्ता, जन्मभूमि की गरिमा एवं भक्तों की भावनाओं के अनुरूप जन्मभूमि की नयनाभिराम भव्य साज-सज्जा को देखकर श्रद्धालु अभिभूत हो उठेंगे। इस बार श्रद्धालु जिस दिशा से भी श्रीकृष्ण जन्मभूमि के दर्शन करेंगे, वहीं से उनको जन्मभूमि की नयनाभिराम छटा के दर्शन प्राप्त हों, ऐसा प्रयास किया गया है।

उन्होंने बताया कि जन्मभूमि परिसर में स्थित श्रीकेवदेव मंदिर में विविध प्रकार के पुष्प, पत्र एवं वस्त्रों से निर्मित भव्य बंगले में ठाकुरजी विराजमान होंगे। भगवान की प्राकट्य भूमि एवं कारागार के रूप में प्रसिद्ध गर्भगृह की सज्जा चित्ताकर्शक होगी। मंदिर के प्राचीन वास्तु के अनुरूप गर्भगृह के भीतरी भाग को सजाया जायेगा। गर्भगृह के बाहरी हिस्से में उत्कीर्ण भगवान के जन्म से पूर्व की लीलाऐं भक्तों के आकर्षण का केन्द्र रहती हैं। श्री शर्मा ने बताया कि भागवत भवन के पत्र, पुष्प, रत्न प्रतिकृति, वस्त्र आदि के अद्भुत संयोजन से बनाये गये ‘पुष्प तेजोमहल’ बंगले में विराजमान हेाकर ठाकुरजी बड़े ही मनोहारी स्वरूप में दर्शन देंगे। पत्र, पुष्प, काष्ठ आदि से निर्मित इस बंगले की छठा और कला निश्चित ही अनूठी होगी।

उन्होने बताया कि इस पवित्र अवसर पर ठाकुरजी रेशम, जरी एवं रत्न प्रतिकृति के सुन्दर संयोजन से बनी ‘मृगांक कौमुदी’ पोशाक धारण करेंगे। श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी यानी 24अगस्त को प्रातः मंगला-दर्शन से पूर्व भगवान इसी पोशाक को धारण कर दर्शन देंगे। पोशाक में रत्न, मोती एवं रेशम का उपयोग करते हुये कमल-पुष्प, पत्ती, लता-पता आदि की जड़ाई की गयी है। रेशम एवं रत्न प्रतिकृति के प्रयोग करते समय यह ध्यान रखा गया है कि भक्तों को सभी आकृतियाॅं ठीक से दिखाई पड़ें ।

जन्माष्टमी की पूर्व संध्या पर श्रीकेशवदेव मंदिर से संत एवं भक्तजन ढोल-नगाड़े, झांझ-मंजीरे, के मध्य भगवान श्री राधाकृष्ण की दिव्य पोषाक अर्पित करने के लिए संकीर्तन करते हुये जायेंगे वहां पर पोषाक, मुकुट, श्रंगार, दिव्य मोर्छलासन, कामधेनु गाय की प्रतिकृति एवं दिव्य रजत कमल के विशेष दर्शन होंगे। इस वर्ष सुन्दर जरी, रेशम एवं रत्न प्रतिकृतियों के संयोजन से दिव्य ‘ब्रजरत्न’ मुकुट, जन्माष्टमी के दिन ठाकुरजी धारण करेंगे तथा भगवान श्रीराधाकृष्ण के दिव्य विग्रह को नवरत्न जड़ित स्वर्ण-कण्ठा धारण कराया जायेगा।

जन्माष्टमी की पूर्व संध्या को 6ः30 बजे भागवत भवन में जन्म महोत्सव की ‘मृगांक कौमुदी’ पोशाक, मोर्छलासन, स्वर्ण मण्डित रजत कामधेनु स्वरूपा गौ प्रतिमा एवं ‘ब्रजरत्न’ मुकुट के एवं दिव्य रजत कमल-पुष्प के विशेष दर्शन होंगे। सचिव शर्मा ने बताया कि जन्माष्टमी के दिन प्रातः दिव्य शहनाई एवं नगाड़ों के वादन के साथ भगवान की मंगला आरती के दर्शन होंगे तथा ठाकुर का पंचामृत अभिषेक किया जायेगा एवं ठाकुरजी के प्रिय स्त्रोतों का पाठ एवं पुष्पार्चन होगा। प्रातः 10ः00 बजे श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंतनृत्यगोपाल दास एवं काष्र्णि गुरूषरणानन्द महाराज के भावमय सानिध्य में दिव्य पुष्पाॅंजलि का कार्यक्रम श्रीकृष्ण जन्मभूमि के सिद्ध लीलामंच पर संपन्न होगा।

जन्म महाभिषेक का मुख्य कार्यक्रम रात्रि 11ः00 बजे श्रीगणेश-नवग्रह आदि पूजन से शुरू होगा। रात्रि 12ः00 बजे भगवान के प्राकट्य के साथ संपूर्ण मंदिर परिसर में शंख, ढोल-नगाड़े, झाॅंझ-मंजीरे और मृदंग एवं हरिबोल एवं करतल ध्वनि के साथ नाच उठेंगे असंख्य भक्तजन, संत एवं भगवान के जन्म की प्राकट्यआरती शुरू होगी जो रात्रि 12ः10 बजे तक चलेगी।

इस वर्ष लीलामंच, मुख्यद्वार पर लगे पी0ए0 सिस्टम के माध्यम से कृष्ण-जन्मभूमि से किया जा रहा शंखनाद का अलौकिक आनन्द मथुरा नगर के एक बड़े भाग में स्पष्ट सुनाई देगा। इस वर्श मुंबई से विशेष रूप से ढोल वादक बुलाये गये हैं जो घण्टे, घड़ियाल एवं ढोल के सामंजस्य से अद्भुद एवं दिव्य मंगल वादन करेंगे। इसके बाद केसर आदि सुगन्धित द्रव्यों से लिपटे हुये भगवान श्रीकृष्ण के चल विग्रह मोर्छलासन में विराजमान होकर अभिषेक स्थल पर पधारेंगे।

ठाकुरजी के श्रीविग्रह का दूध, दही, घी, बूरा, षहद आदि सामग्रियों से दिव्य महाभिषेक किया जायेगा। जन्माभिषेक के उपरान्त इस महाप्रसाद का वितरण जन्मभूमि के निकास द्वार के दोनों ओर वृहद मात्रा में किया जायेगा। भगवान का जन्म महाभिषेक रात्रि 12ः15 बजे से रात्रि 12ः30 बजे तक चलेगा। तदोपरान्त 12ः40 से 12ः50 तक श्रंगार आरती के दर्शन होंगे। जन्म के दर्शन रात्रि 1ः30 बजे तक खुले रहेंगे।

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