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पढ़ाई के साथ जल संरक्षण और हरियाली को बढ़ावा देने की अवधारणा उत्पन्न होनी चाहिए : नीतीश

पटना 27 जनवरी (वार्ता) बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि पढ़ाई के साथ-साथ प्रत्येक व्यक्ति के मन में जल संरक्षण और हरियाली को बढ़ावा देने की अवधारणा उत्पन्न होनी चाहिए, इससे जीवन सुरक्षित रहेगा।
श्री कुमार ने यहां बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (बीएसईबी) की सात योजनाओं का शुभारंभ एवं उद्घाटन करने के बाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि पढ़ाई के साथ-साथ प्रत्येक व्यक्ति के मन में जल संरक्षण और हरियाली को बढ़ावा देने की अवधारणा पैदा होनी चाहिए, इससे जीवन सुरक्षित रहेगा। उन्होंने कहा कि 21 जनवरी 2017 और 21 जनवरी 2018 के बाद इस वर्ष 19 जनवरी को बाल विवाह, दहेज प्रथा के खिलाफ और जल-जीवन-हरियाली अभियान एवं नशामुक्ति के पक्ष में बनी मानव श्रृंखला में 5 करोड़ 18 लाख से भी ज्यादा लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर 18 हजार किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला बनाकर दुनिया को यह संदेश दिया कि बिहार के लोग जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए दृढ संकल्पित हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हर बार बनी मानव श्रृंखला में शिक्षा विभाग ने अपनी महती भूमिका निभाई है। जलवायु परिवर्तन के प्रति महिलाओं एवं नई पीढ़ी में भी काफी जागृति आई है। हम तो कहेंगे कि इस साल बनी मानव श्रृंखला के दौरान पूरे बिहार में खींची गयी तस्वीर को संग्रहित करके उसे रिलीज करवा दें ताकि इस विषय में रूचि रखने वाले लोगों को बिहार के हर हिस्से से ली गयी मानव श्रृंखला की तस्वीरें आसानी से उपलब्ध हो सके। हम सभी के जीवन संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं।
श्री कुमार ने कहा कि टेक्नोलॉजी के विकास से परिस्थितियां काफी बदल गयी हैं। बिहार में 12.5 प्रतिशत बच्चे स्कूलों से बाहर थे। बच्चों को स्कूलों तक पहुंचाने के लिए उनकी सरकार ने वर्ष 2006 से काम प्रारंभ किया और इस दिशा में पहल करते हुए वर्ष 2007 से मध्य विद्यालय की लड़कियों के लिए पोशाक योजना की शुरुआत की गई। इसके कारण न सिर्फ स्कूलों में लड़कियों की संख्या बढ़ी बल्कि गांव की स्थिति और वहां का दृश्य भी बदल गया। पोशाक योजना को विस्तार देते हुए इसे पहली कक्षा से 12वीं में पढ़ने वाले बच्चों के लिए लागू कर दिया गया। इसके बाद नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली लड़कियों के लिए साइकिल योजना की शुरुआत की गयी। इससे लड़कियों का मनोबल ऊंचा हुआ और लोगों की मानसिकता में परिवर्तन आया। 3 से 4 लाख शिक्षकों का नियोजन किया गया। 26 हजार से भी ज्यादा प्राथमिक विद्यालय एवं नई कक्षाओं का निर्माण कराया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बीएसईबी में कई प्रकार की खामियां, कमजोरियां और भ्रष्टाचार की शिकायतें देखने को मिलीं। मैट्रिक परीक्षा के दौरान परीक्षा केंद्र की इमारत के हर फ्लोर पर कदाचार कराते लोग देखे गये थे। नई टेक्नोलॉजी को अपनाकर कदाचारमुक्त परीक्षा, कॉपी की जांच एवं परीक्षा प्रणाली को पारदर्शी बनाने की कवायद शुरू हुई जिसके बाद परिस्थितियां बदल गयी। अब बीएसईबी द्वारा न सिर्फ कदाचारमुक्त परीक्षा का आयोजन कराया जा रहा है बल्कि समय सीमा के अंदर मैट्रिक और इंटर परीक्षा का परिणाम भी घोषित किया जाने लगा है। उन्हें पूरा भरोसा है कि स्थिति में और अधिक सुधार होगा। आज स्थिति यह है कि यहाँ के कामों को देखने बाहर से लोग बिहार आने लगे हैं।
सूरज
जारी (वार्ता)
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