Friday, Mar 29 2024 | Time 16:54 Hrs(IST)
image
लोकरुचि


पन्ना में बाघ पुनस्र्थापना की वर्षगांठ कल

पन्ना में बाघ पुनस्र्थापना की वर्षगांठ कल

पन्ना, 15 अप्रैल (वार्ता) मध्यप्रदेश के पन्ना टाईगर रिजर्व की बाघ पुनरुर्थापना योजना की 8वीं वर्षगांठ यहां मड़ला स्थित कर्णावती प्रकृति व्याख्या केन्द्र में कल मनाया जायेगा।

पन्ना टाईगर रिजर्व में बाघ का जन्म दिन मनाये जाने की परम्परा 8 वर्ष पूर्व तत्कालीन क्षेत्र संचालक आर. श्रीनिवास मूर्ति द्वारा शुरू की गई थी जो जारी है। वर्ष 2009 में बाघविहीन होने के बाद पन्ना टाईगर रिजर्व में बाघ पुनस्र्थापना योजना के तहत बाघों को बाहर से लाया गया था। कुशल प्रबंधन के परिणामस्वरूप बाघों का कुनबा निरंतर बढ़ रहा है। मौजूदा समय यहां के जंगलों में तीन दर्जन से भी अधिक बाघ विचरण कर रहे हैं।

प्रदेश का पन्ना टाईगर रिजर्व अवैध शिकार के चलते वर्ष 2009 में बाघविहीन हो गया था। बाघों का यहां से पूरी तरह खात्मा हो जाने पर राष्ट्रीय स्तर पर पन्ना टाईगर रिजर्व की खासी किरकिरी हुई थी। बाघों के उजड़ चुके संसार को फिर से आबाद करने के लिए बाघ पुनस्र्थापना योजना के तहत कान्हा व बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व से बाघिन व पेंच टाईगर रिजर्व से एक नर बाघ लाया गया था।

बाघिन टी-1 ने पन्ना आकर 16 अप्रैल 2010 को अपनी पहली संतान को जन्म दिया। इस ऐतिहसिक व अविस्मरणीय सफलता को यादगार बनाने के लिए 16 अप्रैल को हर साल प्रथम बाघ शावक का जन्म धूमधाम से मनाये जाने की परम्परा शुरू हुई ताकि जनभागीदारी से बाघों के संरक्षण को बल मिले। इसके बड़े ही उत्साहजनक परिणाम भी देखने को मिला।

बीते 8 वर्षों में बाघिनों के अलावा पन्ना टाईगर रिजर्व में जन्मी बाघिनों ने तकरीबन 60 से भी अधिक बाघ शावकों को जन्म दिया है। नन्हे बाघ शावकों के जन्म से पन्ना टाईगर रिजर्व का जंगल एक बार फिर पूर्व की तरह गुलजार हो गया है।

वन्यजीव प्रेमी व पर्यावरण से जुड़े लोगों का यह मानना है कि सिर्फ सरकारी प्रयासों से न तो जंगल की सुरक्षा हो सकती है और न ही वन्य प्राणियों का संरक्षण किया जा सकता है। जनता की भागीदारी जरूरी है। केन नदी के किनारे प्रकृति के सानिध्य में आयोजित होने वाले इस समारोह में उत्तर और दक्षिण वन मण्डल के अधिकारियों सहित वन्यजीव प्रेमी तथा पर्यावरण से जुड़े लोग भाग लेगें।

सं नाग

वार्ता

There is no row at position 0.
image