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पवन वर्मा ने तृणमूल छोड़ा , ममता को बड़ा झटका

कोलकाता 12 अगस्त (वार्ता) तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को शुक्रवार को उस समय गहरा झटका लगा जब राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पवन वर्मा ने पार्टी से अलग होने की घोषणा कर दी।
श्री वर्मा पिछले साल ही उन्होंने पार्टी में शामिल हुए थे और इसके बाद उनको तृणमूल का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया था।
श्री वर्मा ने अपने ट्वीट में लिखा,“ममता बनर्जी जी, टीएमसी से मेरा इस्तीफा स्वीकार कीजिए। मैं आपके समर्थन और विश्वास के लिए आपका स्वागत करता हूं। मैं आगे भी आपके साथ संपर्क में रहूंगा। शुभकामनाएं।”
पांच नवंबर 1953 को जन्मे पवन वर्मा लेखक, राजनेता होने के अलावा भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) अधिकारी भी रह चुके हैं। उन्होंने बतौर राजदूत भूटान और साइप्रस में भी अपनी सेवाएं दी हैं।
नागपुर में पैदा हुए पवन वर्मा ने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से हिस्ट्री में डिग्री हासिल की थी। इसके बाद दिल्ली के फैकल्टी ऑफ लॉ से कानून की पढ़ाई की। वर्ष 1976 में वह भारतीय विदेश सेवा में शामिल हुए। अपने करियर के दौरान वह भारत के राष्ट्रपति के प्रेस सेक्रेटरी, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता, अफ्रीका में जॉइंट सेक्रेटरी, साइप्रस में भारत के हाई कमिश्नर, नेहरू सेंटर के डायरेक्टर, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के महानिदेशक और भूटान में भारत के राजदूत रह चुके हैं।
साल 2012 में उनकी मुलाकात दिल्ली में बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हुई थी और कम ही वक्त में दोनों की दोस्ती हो गई। इसके बाद श्री नीतीश ने श्री वर्मा को राजनीति में प्रवेश करा दिया। श्री नीतीश ने 2014 में उनको राज्यसभा भेजा। कुछ ही वक्त में उनका पार्टी में कद बड़ा होने लगा। कहा जाता है कि श्री वर्मा की सलाह पर ही जनतादल (यूनाइटेड) में प्रशांत किशोर को शामिल किया गया था। वह जद-यू की तरफ से टीवी चैनलों पर भी नजर आते थे।
इसके बाद श्री वर्मा ने श्री नीतीश को सीएए और एनआरसी पर पार्टी की विचारधारा बताने को कह दिया। बाद में दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी-जद-यू गठबंधन पर भी सवाल खड़े कर दिए। इसके बाद श्री नीतीश ने श्री वर्मा को जद-यू से निकाल दिया। इसके बाद 23 नवंबर 2021 को उन्होंने टीएमसी जॉइन की और 19 दिसंबर 2021 को उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया।
संजय अशोक
वार्ता
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