राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Oct 20 2020 5:22PM फ्रीज्ड डीए रिलीज करने से बढ़ेगी कर्मचारियों की क्रय शक्तिलखनऊ 20 अक्टूबर, (वार्ता) उत्तर प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों एवं शिक्षकों ने सरकार से मांग की है कि फ्रीज्ड महगाई भत्ता एवं मंहगाई राहत को अविलम्ब अवमुक्त किया जाये जिससे उनकी क्रय शक्ति में इजाफा हो सके और सरकार को कर के रूप में इसका लाभ मिले। सरकारी कर्मचारियों,शिक्षकों,दैनिक वेतन संविदा वर्कचार्ज एवं पेंशनर्स के संयुक्त फोरम उप्र कर्मचारी, शिक्षक समन्वय समिति ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस सिलसिले में एक ज्ञापन भेजा है। उनका कहना है कि केन्द्रीय वित्त मंत्री द्वारा पर्व अग्रिम एवं एलटीसी कैश कूपन का सर्शत उपाय नाकाफी है। वास्तविक रूप से बाजार में इसका प्रभाव नगण्य होगा दूसरे सेवारत की भांति सेवानिवृत्त कर्मियों को भी इस दायरे में लाने पर विचार किया जाना चाहिए था। विधान परिषद में शिक्षक दल के नेता ओम प्रकाश शर्मा, समन्वय समिति समन्वयक अमरनाथ यादव एवं प्रवक्ता बीएल कुशवाहा ने कहा कि कर्मचारियों, शिक्षकों, पेंशनर्स को एक जनवरी से मिलने वाला डीए 20 जून तक फ्रीज कर दिया गया है। इतना ही नहीं इस अवधि का देय एरियर भी जब्त कर लिया गया है। अब तक डीए की दो किश्तें जनवरी और जुलाई जो 7.94 प्रतिशत होती है, दशमलव के बाद का अंक सरकार हर बार छोड़ देती है तब भी 7 प्रतिशत फ्रीज हो चुका है। जनवरी की अनुमानित किश्त जोड़ लें तो यह फ्रीजिंग लगभग 11 प्रतिशत और जुलाई 2021 तक जोड़ने पर लगभग 14-15 प्रतिशत हो जायेगी। उन्होने कहा कि सरकार का यह फैसला कमेरा समाज को आर्थिक, मानसिक क्षति पहुँचाने वाला है। केन्द्रीय/राज्यों के कर्मचारी, शिक्षक, पेंशनर्स को जोड़ लिया जाये तो यह संख्या दो करोड़ से अधिक हैं। फ्रीजिंग समाप्त करने पर इच्छा शक्ति/क्रय शक्ति बढ़ेगी तथा वास्तव में बाजार में बढ़ी मांग दिखाई देगी, उत्पादन बढ़ेगा, सप्लाई चैन बढ़ेगी और देश की अर्थव्यवस्थ में निश्चित रूप से सुधार होगा। इसका सकारात्मक प्रभाव डेफिसिट पर भी पड़ेगा। मुख्यमंत्री को प्रेषित एक दूसरे ज्ञापन में समन्वय समिति समन्वयक अमर नाथ यादव ने वित्त विभाग द्वारा जारी शासनादेश को निरस्त करने की मांग की गई है, जिसके द्वारा 1 दिसम्बर, 2008 से लागू नई एसीपी व्यवस्था में वरिष्ठ कर्मचारी का वेेतन कनिष्ठ के समान किये जाने की चली आ रही व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है। शासन का यह आदेश वरिष्ठ कर्मचारियों के साथ हफतल्फी है जो समन्वय समिति को स्वीकार नहीं है इसे निरस्त किया जाना चाहिए। कर्मचारी शिक्षक नेताओं ने बताया कि समन्वय समिति से जुड़े महासंघों/परिसंघों/संघों के शीर्ष नेताओं की शीघ्र बैठक बुलाकर अगली रणनीति तय की जायेगी।प्रदीपवार्ता