नयी दिल्ली, 31 अक्टूबर (वार्ता) देश में कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी के दौरान बहुत से आयोजन और कामकाज ठप्प पड़ गये हैं और इस दौरान लोग जहां स्थिति के फिर से सामान्य होने का इंतजार कर रहे हैं वहीं फुटबॉल खिलाड़ी अंजू तमांग खेती के काम में लगकर इस समय का भरपूर आनंद उठा रही हैं।
भारतीय महिला राष्ट्रीय फुटबॉल टीम की खिलाड़ी अंजू तमांग वर्तमान समय में पश्चिम बंगाल के हिमालयी क्षेत्र में स्थित छोटे से गांव रंगालीबाजना में अपने परिवार के साथ फसल की कटाई का काम कर रही हैं और इस दौरान वह इस काम का आनंद भी उठा रही हैं। तमांग एक किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं और उन्होंने इससे अलग फुटबॉल में अपना करियर बनाया है लेकिन अपने जड़ें भूली नहीं हैं।
तमांग इस दौरान अपने धान के खेतों में पसीना बहाते देखी जा सकती हैं। वह जब भी छुटि्टयों में घर आती हैं खेती के काम में अपने परिवार का हाथ बढ़ाती हैं। उन्होंने कहा, “जब मैं बच्ची थी तब खेती का काम खूब किया करती थी। आज के समय में मैं यह काम ज्यादा नहीं कर पाती क्योंकि मुझे टूर्नामेंट या मैचों के लिए विभिन्न स्थानों पर जाना होता है। इस वर्ष इस मौसम में मुझे घर आने का अवसर मिला है और मैं खेतों में काम कर बहुत खुश हूं।”
तमांग ने कहा, “फसल की कटाई का काम ज्यादातर घर की महिलाएं करती हैं। सामान्य रूप से मेरी मां और भाभी इस मौसम में यह काम करती हैं। जब भी मैं घर पर होती हूं तो इस काम में उनकी मदद करती हूं। फसल की कटाई के बाद आगे का काम मेरे पिता और भाई करते हैं। फुटबॉल के खेल की तरह यह भी एक टीम वर्क जैसा है।”
तमांग आजकल सुबह उठने के बाद कुछ स्थानीय खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देती हैं। इसके बाद वह नाश्ता और अभ्यास करने के बाद धान के खेत में अपनी मां और भाभी की मदद करने पहुंच जाती हैं।” उन्होंने कहा, “कई सारे खिलाड़ी घर जाने के बाद फिटनेस को लेकर चिंतित रहते हैं लेकिन मेरे साथ ऐसा नहीं है। हमें बहुत सारे कृषि कार्य करने होते हैं और यह आपको फिट रखता है।”
तमांग ने कहा, “हम तीनों खेतों में काम करते हुये लगभग हर चीज पर बातें करते हैं। इससे हम एक दूसरे के साथ अधिक समय बिता पाते हैं। मैं वर्ष के अधिकतर समय घर से दूर रहती हूं और जब वापस लौटती हूं तो मेरी मां और भाभी राष्ट्रीय टीम के बारे में जानना बहुत पसंद करती हैं।”
उन्होंने कहा, “एक फुटबॉलर के जीवन में कठिन परिश्रम उतना ही महत्वपूर्ण है जितना एक किसान के जीवन में। फर्क सिर्फ इतना है कि एक किसान को एक फुटबॉलर जितनी प्रसिद्धि नहीं मिल पाती है।”
तमांग ने कहा, “कृषि जीवन ने मुझे लक्ष्य निर्धारित करना सिखाया है। इसने मुझे सफल होने के बाद भी विनम्र रहना सिखाया है। मेरी जड़ें यहां हैं और मैं मेरे मूल्यों को कभी नहीं भूलूंगी।”
प्रियंका राज
वार्ता