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बेबी ने किया पुस्तक, एक लघु डाक्यूमेंट्री फिल्म का विमोचन

देहरादून 17 जुलाई (वार्ता) उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने बुधवार को उत्तराखण्ड अन्तरिक्ष उपयोग केन्द्र द्वारा प्रकाशित तीन पुस्तकों सहित पांच पुस्तकों और एक लघु डाक्यूमेंट्री फिल्म का विमोचन किया और कहा अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी राज्य की दुर्गम भौगोलिक स्थिति के सन्दर्भ में अत्यन्त लाभकारी हो सकती है।
श्रीमती मौर्य ने आज राजभवन में राज्य अंतरिक्ष उपयोग केंद्र की पुस्तकों ‘‘रिमोट सेंसिंग एंड जी.आई.सी. बेस्ड एप्लीकेशंस इन एग्रीकल्चर सेक्टर, जियोस्पाशियल टैक्निकस फाॅर फाॅरेस्ट, इकोलाॅजी एंड क्लाइमेंट चेंज सेक्टर्स आॅफ उत्तराखण्ड तथा एन एटलस आॅफ वाॅटर एण्ड स्नो कवर स्टडीज आॅफ उत्तराखण्ड का विमोचन किया। साथ ही उन्होंने लैण्ड यूज/लैण्ड कवर एटलस आॅफ उत्तराखण्ड तथा टूरिस्ट डेस्टिनेशन आॅफ उत्तराखण्ड’’ पुस्तकों का भी विमोचन किया। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने एक लघु डाॅक्यूमेंटरी फिल्म ‘‘ज्योस्पाशियल स्टडी आॅफ रिस्पना रिवर’’ भी रिलीज की गई।
राज्यपाल ने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी उत्तराखण्ड राज्य की दुर्गम भौगोलिक स्थिति के सन्दर्भ में अत्यन्त लाभकारी हो सकती है। रिमोट सेंसिंग और जीआईएस राज्य में कृषि, बागवानी एवं वन संसाधनों के अध्ययन एवं सर्वे हेतु प्रभावी तकनीक सिद्ध होगी। ‘लैण्ड यूज व लैण्ड कवर एटलस आॅफ उत्तराखण्ड’ हमारे प्राकृतिक संसाधनों की वास्तविक स्थिति के आंकलन, प्रबंधन एवं अनुश्रवण में मदद करेगी। इससे राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं के कारण भू-संसाधनों में होने वाले बदलावों के बारे में भी पता चलेगा। इसके साथ ही शहरी क्षेत्रों में हो रहे विस्तारीकरण की जानकारी भी मिलेगी। यह भूमि प्रबंधन व नियोजन में उपयोगी सिद्ध होगी।
श्रीमती मौर्य ने कहा कि पर्वतीय राज्य होने के कारण उत्तराखण्ड में बागवानी एवं जड़ी-बूटी उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। अन्तरिक्ष तकनीक की सहायता से बागानों के चिह्नीकरण, फल उत्पादन के क्षेत्रफल एवं उत्पादन की जानकारी मिलती है। हमें इससे फलों को बिमारियों से बचाने एवं सिंचाई सुविधाओं की पर्याप्त व्यवस्था करने में सहायता मिलेगी। कृषि तथा बागवानी के क्षेत्र में स्वरोजगार पैदा करके पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन को कम किया जा सकता है।
कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि अन्तरिक्ष उपयोग केन्द्र से प्राप्त जानकारी एवं आंकड़े का सभी विभाग लाभ उठा रहे हैं। अन्तरिक्ष प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी की सहायता से हमें राज्य के कृषि एवं बागवानी क्षेत्र को सुदृढ करने के प्रयास करने होंगे। कृषि क्षेत्र की प्रगति होने से पलायन पर प्रभावी अंकुश लगाया जा सकता है।
सचिव सूचना एवं प्रौद्यागिकी रमेश कुमार सुधांशु ने कहा कि प्रधानमंत्री ने भी अंतरिक्ष प्रौद्यागिकी को विशेष महत्व दिया है। सुनियोजित नगरीय विकास सुनिश्चित करने में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी अत्यन्त सहायक सिद्ध होगी। सुनियोजित विकास के लिए डेटा उपलब्ध होना बहुत जरूरी है।
इस अवसर पर निदेशक यूसैक डाॅ. एम पी एस बिष्ट, प्रोफेसर ए. एन. पुरोहित, प्रो. एस. पी. सिंह एवं वैज्ञानिक उपस्थित रहे।
सं. उप्रेती
वार्ता
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