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बीमा प्रोफेशनल्स की बढ़ती मांग

बीमा प्रोफेशनल्स की बढ़ती मांग

(अशोक सिंह से)

नयी दिल्ली, 08 फरवरी (वार्ता) देश में इंश्योरेंस या बीमा क्षेत्र में हाल के वर्षों में काफी तेज़ी देखने को मिल रही है जिसका नतीज़ा है कि लगभग 30 प्रतिशत आबादी आज जीवन बीमा पॉलिसी धारक है जबकि मात्र एक दशक पहले तक पांच प्रतिशत आबादी ही बीमित थी।

यह भी वास्तविकता है कि अन्य पश्चिमी देशों की तुलना में यह संख्या आज भी काफी कम है जहां तीन-चौथाई से अधिक आबादी बीमा के दायरे में आ चुकी है। ज्यादा पुरानी बात नहीं है कि देश में बीमा क्षेत्र में सिर्फ सरकारी कंपनियों का ही बोलबाला था,लेकिन निजी कंपनियों को इस क्षेत्र में कारोबार करने की इजाजत दिए जाने के बाद देशी और विदेशी बीमा कम्पनियाँ बड़ी संख्या में अब कारोबार कर रही हैं। इसी कारणवश यह बदलाव देखने को मिल रहा है।

अभी भी देश में बहुसंख्यक आबादी को बीमा पॉलिसी धारक बनाया जाना शेष है,ऐसे में भारत में यह एक बहुत बड़ा बाज़ार है,जिसका अधिक से अधिक हिस्सा पाने के लिए इन बीमा कंपनियों में गहन प्रतिस्पर्धा की स्थिति है। वर्तमान में देश में कुल 57 बीमा कंपनियां कार्यरत हैं। इनमें से 24 जीवन बीमा और शेष 33 गैर जीवन बीमा के क्षेत्र में कारोबार कर रही हैं।

क्या हैं इंश्योरेंस विशेषज्ञ या एक्चुरीज़;- बीमा कंपनियों में इंश्योरेंस विशेषज्ञों या एक्च्युरीज की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इनका मुख्य कार्य बीमा कंपनियों के लिए नई बीमा पॉलिसी की योजनायें तैयार कर उनके वार्षिक प्रीमियम की राशि का निर्धारण करना है। इतना ही नहीं ये बीमा दावे की स्थिति में हर्जाने की राशि का निर्धारण करते हैं। अन्य कंपनियों के साथ स्पर्धा में आगे रखने और नए से नए पॉलिसी प्रोडक्ट्स को मार्केट में सही समय पर उतारने तथा उनमें जोखिम सम्बंधित कारकों को देखते हुए प्रीमियम राशि को तय करने का दायित्व भी इन विशेषज्ञों पर होता है।

शैक्षिक योग्यता;- सफल एक्चुरीज़ के लिए यह आवश्यक है उसके पास सांख्यिकी,अर्थशास्त्र तथा वित्तीय विषयों की पृष्ठभूमि हो। इसके अतिरिक्त वह प्रोबेबिलिटी,मिश्रित ब्याज,कानूनी पहलुओं,मार्केटिंग और मैनेजमेंट के गुरों का भी जानकार हो।

व्यक्तित्व विशेषता;-कम्युनिकेशन स्किल्स के साथ धैर्यवान होना इस प्रोफेशन को अपनाने वाले युवाओं में अत्यंत आवश्यक है। तर्कसंगत सोच से बीमा क्षेत्र के भावी जोखिमों को भांपने में मदद मिलती है। अंग्रेजी और कंप्यूटर का ज्ञान रोज़गार दिलाने में सहायक सिद्ध हो सकता है।

ट्रेनिंग;- देश में इंस्टीट्यूट ऑफ़ एक्चुरीज़ ऑफ़ इंडिया एकमात्र प्रोफेशन संस्था है जो न सिर्फ इस क्षेत्र में ट्रेनिंग प्रदान करती है बल्कि इस प्रोफेशन से जुड़े लोगों को जोड़ने का भी काम करती है। इसके द्वारा असोशियेट्शिप,फेलोशिप और प्रोफेशनल स्तर तक की परीक्षाआें का संचालन किया जाता है। इन्हें पास करने के बाद इंस्टिट्यूट ऑफ़ एक्चुरीज के एसोसियेट मेंबर के रूप में मान्यता मिल जाती है। देश में चुनिन्दा विश्वविद्यालयों द्वारा बी एस सी(एक्चुरिअल साइंस),एम् एस सी(एक्चुरिअल साइंस),एम् बी ए(एक्चुरिअल साइंस) आदि कोर्सेस भी आयोजित किये जाते हैं।

रोज़गार;- ऐसे ट्रेंड प्रोफेशनल्स के लिए बीमा कंपनियों के अलावा रिस्क मैनेजमेंट कंपनियों,इन्वेस्टमेंट फर्म,बैंकों,हेल्थ इंश्योरेंस एवं फाइनेंस कंपनियों,शेयर ब्रोकर्स की कंपनियों आदि में भी नौकरी के अवसर मिलते हैं। यही नहीं टीचिंग के क्षेत्र में भी इनके लिए अवसर हो सकते हैं। सरकार ने भी कृषि और स्वास्थ्य से सम्बंधित कई बीमा योजनाओं को इस दौरान शुरू किया है। इनके लिए पर्याप्त मात्रा में धनराशि का भी प्रावधान किया गया है। इससे भी बीमा उद्योग की विकास दर में बढ़ोतरी होने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है।

जय जितेन्द्र

वार्ता

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