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ब्रिटेन के गृह कार्यालय के बाहर असांजे समर्थकों का विरोध प्रदर्शन

ब्रिटेन के गृह कार्यालय के बाहर असांजे समर्थकों का विरोध प्रदर्शन

लंदन 18 मई (वार्ता/स्पूतनिक) अमेरिका के प्रत्यर्पण का सामना कर रहे विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे के समर्थकों ने उनकी रिहाई की मांग को लेकर ब्रिटेन के गृह कार्यालय के बाहर एकत्र होकर विरोध प्रदर्शन किया।

श्री असांजे के समर्थन में पोस्टर और बैनर के साथ कई दर्जन प्रदर्शनकारी कार्यालय के सामने उनकी रिहाई के लिए नारे लगाये। पुलिस मौके पर मौजूद थी।

श्री असांजे की पत्नी स्टेला, जो अपने दो बच्चों के साथ गृह कार्यालय की इमारत में आई थीं, ने मंच से गृह सचिव, पूरे विभाग और समग्र रूप से ब्रिटिश सरकार से विकीलीक्स के संस्थापक को रिहा करने की अपील की। उन्होंने कहा,“उन्हें सही काम करना चाहिए। उन्हें प्रत्यर्पण को रोकना चाहिए। यह एक राजनीतिक मामला है और इसका एक राजनीतिक समाधान है।”

श्रम कानूनविद् और पूर्व शैडो सेक्रेटरी फॉर जस्टिस रिचर्ड बर्गन ने जोर देकर कहा कि असांजे के ‘राजनीतिक प्रत्यर्पण’ की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और यदि गृह मंत्री पक्ष में फैसला करते हैं, तो यह प्रेस की स्वतंत्रता को खतरा होगा तथा युद्ध अपराधों को उजागर करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए चेतावनी के रूप में काम करेगा।

इससे पहले मंगलवार को श्री असांजे के बचाव पक्ष ने ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल को उनके अमेरिका प्रत्यर्पण को रोकने के लिए एक अभ्यावेदन दायर किया था।

अप्रैल में, ब्रिटेन के वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत ने औपचारिक रूप से श्री असांजे के अमेरिका के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी थी। उसे प्रत्यर्पित किया जाएगा या नहीं यह अब ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल के पास है।

विकीलीक्स की स्थापना असांजे द्वारा चार अक्टूबर 2006 को की गई थी, लेकिन 2010 में यह प्रमुखता से बढ़ी जब इसने विशेष रूप से अमेरिका से वर्गीकृत सरकारी सूचनाओं के बड़े पैमाने पर लीक प्रकाशित करना शुरू किया।

विकीलीक्स के संस्थापक जमानत की शर्तों को तोड़ने के लिए 11 महीने की सजा काटने के बाद अक्टूबर 2020 से दक्षिण-पूर्व लंदन में बेलमर्श अधिकतम-सुरक्षा जेल में रिमांड पर हैं। वर्ष 2012 में, अपनी जमानत शर्तों की मांग के अनुसार अदालत में पेश होने के बजाय, श्री असांजे ने लंदन में इक्वाडोर के दूतावास में शरण मांगी, जहां वह 2019 तक इस चिंता में रहे कि उन्हें अमेरिका को प्रत्यर्पित किया जा सकता है।

संजय

वार्ता/स्पूतनिक

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