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बड़वानी में बनेंगी बाग, चंदेरी और माहेश्वरी प्रिंट, 192 देशों में होगी मार्केटिंग

बड़वानी, 22 अगस्त (वार्ता) भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ (ट्राइफेड) के प्रबंध संचालक प्रवीर कृष्ण ने आज कहा है कि मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले की आदिवासी महिलाओं द्वारा निर्मित बाग, माहेश्वरी तथा चंदेरी प्रिंट की साड़ियों और अन्य वस्त्रों को 192 देशों में मार्केट किया जायेगा।
वन धन योजना की शुरूआत के मौके पर यहां श्री कृष्ण ने बताया कि भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा 'सीएसआर इनीशिएटिव' के तहत प्रदत्त 5 करोड रुपयों की मदद से बड़वानी जिले में 300 आदिवासी महिलाओं को प्रशिक्षित कर बाग, माहेश्वरी तथा चंदेरी प्रिंट से जुड़े उत्पाद निर्मित कर मार्कफेड के माध्यम से 192 देश में मार्केट किए जाएंगे। इस मॉडल को देश के 27 राज्यों के 307 जिलों द्वारा भी अपनाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि 'ईकॉम' कंपनी अमेजन से भी एक समझौते के मसौदे पर हस्ताक्षर हुए हैं, साथ ही अन्य ऑनलाइन कंपनियों के माध्यम से भी उक्त उत्पाद बेचे जाएंगे।
उन्होंने बताया कि यह देश की पहली इकाई होगी, जहां आदिवासी वर्ग संस्कृति के साथ जुड़कर समकालीन डिजाइनों को वैश्विक बाजार के समक्ष रखते हुए अपनी विशिष्ट पहचान बनायेंगे।
उन्होंने बताया कि विभिन्न विश्व स्तरीय मास्टर ट्रेनर्स करीब 300 महिलाओं को इन प्रिंटों को निर्मित करने का प्रशिक्षण देंगे। उन्होंने कहा कि व्यावसायिक दृष्टि पर केंद्रित इस योजना में गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जाएगा और प्रशिक्षण के उपरांत चयनित महिलाओं से बने उत्पाद गुणवत्ता पर खरे उतरने के बाद ही मार्केट किए जायेंगे।
उन्होंने बताया कि 27 राज्यों के 307 आदिवासी जिलों में हैंडीक्राफ्ट तथा हैंडलूम के अलावा जंगल के उत्पादों का मूल्य संवर्धन कर क्षेत्रीय लोगों को बड़े बाजारों से जोड़ा जाएगा।
उन्होंने बताया कि इन उत्पादों को निर्मित कर 8 से 10 घंटे की प्रतिदिन की मेहनत से एक महिला वर्षभर प्रतिमाह 15 से 20 हजार रूपए अर्जित कर सकती है। फिलहाल बड़वानी में इस तरह की 4 इकाइयां आरंभ करने के लिए सर्वे किया जा रहा है, ताकि आगामी नवंबर माह से उत्पादन को विश्व भर में मार्केट किया जा सके।
सं प्रशांत
वार्ता
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