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लोकरुचि


बलरामपुर के दुखहरण मंदिर में शिवरात्रि को जुटते हैं लोग

बलरामपुर के दुखहरण मंदिर में शिवरात्रि को जुटते हैं लोग

बलरामपुर18फरवरी(वार्ता)छोटी काशी के नाम से विख्यात उत्तर प्रदेश के बलरामपुर मे वैसे तो अनेक धार्मिक स्थल है, लेकिन उतरौला कस्बे मे स्थित दु:खहरणनाथ मंदिर आज भी शिवरात्रि के मौके पर श्रद्धालुओ की अपार भीड जुटती है जहाँ भगवान शिव और पार्वती की पूजा करने से भक्तो की मन्नते पूर्ण होती है।



जिला मुख्यालय से 28 किलो मीटर दूर उतरौला कस्बे मे ऐतिहासिक दु:खहरणनाथ मंदिर स्थित है। इस मंदिर पर वैसे तो हर मंगलवार को भक्तो की भीड जुटती है,लेकिन शिवरात्रि के मौके पर यहाँ मेले जैसा नजारा देखने को मिलता है।धार्मिक मान्यता है कि प्राचीन मंदिर मे भगवान शिव और पार्वती देवी की पूजा करने से श्रद्धालुओ की मन्नते पूरी होती है।यहाँ शिवरात्रि के अलावा कजरी तीज और सावन पर्व पर बडा मेला भी लगता है। इस मौके पर हजारो की संख्या मे श्रद्धालु मंदिर मे स्थित शिव लिंग पर फूल माला,धतूरा,भांग का चढावा चढा कर दूध से नहलाते है।



मंदिर की ऐतिहासिकता के बारे मे मौजूदा पुजारी महंत पुरूषोत्तम गिरी ने कहा कि सैंकडो साल पहले यहाँ जयकरन गिरी नाम के एक संत आकर रहने लगे। उस समय मंदिर का पूरा इलाका जंगल से अच्छादित था। उस समय उतरौला रियासत पर मुस्लिम शासक राजा नेवाज खाँ का राज्य हुआ करता था।संत जयकरन गिरी के धार्मिक और अध्यात्मिक किस्से सुनकर यहाँ के मुस्लिम शासक राजा नेवाज खाँ स्वयं चलकर संत जयकरन गिरी से मिलने गये। बताया जाता है कि संत की सिद्धी से प्रभावित होकर राजा नेवाज खाँ ने वहाँ मौजूद टीले की खुदाई कराई। कई दिनो की खुदाई के बाद टीले के नीचे पत्थर के घेरे मे उत्तर की ओर झुका हुआ एक शिव लिंग के अतिरिक्त कई हिन्दू देवी देवताओ की अष्टधातु की मूर्तिया भी मिली।



राजा नेवाज खाँ ने शिवलिंग को सीधा कराने का प्रयास किया लेकिन वह सीधा नही हो सका। इसे देख कर राजा नेवाज खाँ ने शिवलिंग के आसपास का एक लम्बा चौडा भूभाग दान दे दिया और शिव लिंग पर एक भव्य मंदिर के अलावा उसके मुख्यद्वार के बिलकुल सामने पोखरे का निर्माण कराया। यह मंदिर और पोखरा आज भी पूरे जिले मे हिन्दू मुस्लिम सौहार्द के प्रतीक के तौर पर जाना जाता है।



मंदिर की देखभाल कर रहे महंत पुरूषोत्तम गिरी अपनी पीढी के चौथे महंत है जो यहाँ पूजा अर्चना करते है। दु:खहरणनाथ मंदिर आज भी अपनी प्राचीन वैभव को संजोए हुए है जहाँ शिवरात्रि के मौके पर लगने वाले मेले मे दूरदराज से हजारो की संख्या मे श्रद्धालु यहाँ आते है और पूजा अर्चना करते है।

सं विनोद

वार्ता

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