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बस्तर अंचल में बारिश के बाढ का कहर, इंद्रावती नदी उफान पर

जगदलपुर, 16 अगस्त (वार्ता) छत्तीसगढ़ के बस्तर में बारिश थमने के बाद बाढ़ का कहर देखने को मिल रहा है। बस्तर में लगातार मूसलाधार बारिश से इन्द्रावती नदी और सहायक नदी और नाले पूरी तरह उफान पर आ गये। इन्दावती नदी में आई बाढ़ ने आमजन का जनजीवन अस्त व्यस्त कर दिया है।
बाढ़ से बस्तर संभाग के बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा के इलाके भी काफी प्रभावित हुये हैं। सबसे ज्यादा स्थिति बस्तर जिले की खराब है। कल देर रात 2 बजे के करीब पानी अचानक इन्द्रावती में बढ़ने लगा। रात ढेड बजे कोटवार के माध्यम से नदी किनारे बसे बस्तियों में मुनादी करवाई गयी।
अनुविभागीय अधिकारी जगदलपुर ओम प्रकाश शर्मा ने आज बताया कि शहर के नदी किनारे बसे गांवों में से अब तक 156 लोगों का रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानो में लाया गया है। वहीं, नगर के शिवमंदिर वार्ड के डोंगाघाट मोहल्ला में बाढ़ के पानी से भरे सडक को पार कर अपने मामा के घर जा रही तीन बच्चियां बह गईं दो बच्चियों को तो मोहल्ले वालों ने किसी तरह बचा लिया मगर एक बच्ची लापता हो गयी है। 11 साल की लापता बच्ची की तलाश की जा रही है। तेज बहाव के कारण रेस्क्यू टीम को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
वहीं तामाकोनी बस्ती में फंसे 11 लोगों का भी रेस्क्यू किया गया है। इधर बाढ़ के पानी ने बस्तर के आधे से भी अधिक इलाके को अपने चपेट में ले लिया है 4 दर्जन से अधिक गावों का सडक संपर्क जिला मुख्यालय से कट गया है। गांव के ग्रामीण गांव में ही ठहर से गये है। जरूरी सामग्री के लिये वे शहर तक नही पहुंच पा रहे हैं। जिला प्रशासन के अधिकारी ऐसे गांवों में वोट के माध्यम से जरूरी सामग्री पहुचा रहें है। रेस्क्यू किये गये ग्रामीणों को शहर के आसपास 3 सार्वजिनिक भवनों में रखा गया है।
श्री शर्मा ने बताया कि रामपाल, उपनपाल, नगरनार, भेजापदर, नदी बोड़ना, कोसमी, माडपाल, कुडकानार, सहित कई गांव बाढ़ की चपेट में हैं। जहां प्रशासन ने टीम बना कर भेजा है। दूसरी तरफ शहर के महादेव घात, कोह्कापाल में बाढ़ का पानी घरो में घुस आया। लोग किसी तरह ऊपरी मंजिल में शरण लिये हुये हैं। कच्चे और छोटे घरों में रहने वाले लोगों को राहत शिविर भेजा गया है।
नदी किनारे बने मुक्तिधाम को भी बाढ़ के पानी ने अपने चपेट में ले लिया है। पूरा मुक्तिधाम इन्द्रावती नदी में आई बाढ़ के पानी से डूब गया है। निचली बस्तियों के घर जलमग्न हो चुके है। तीन दिनों तक हुई मुसलाधार बारिश बंद तो जरुर हुई है। मगर बारिश के कारण आयी बाढ़ के चलते हजारों एकड़ में उगाई गई फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गईं। बहरहाल प्रशासन को बाढ़ के पानी कम होने का इन्तजार है। ताकि बाढ़ से हुये नुकसान का आंकलन कर सके। वर्ष 2018 के बाद बस्तर में इसी तरह की बाढ़ आई है।
सं बघेल
वार्ता
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