राज्यPosted at: Sep 21 2018 5:28PM बसपा एवं जनता कांग्रेस के गठबंधन के बाद सियासी गतिविधि तेज
रायपुर 21 सितम्बर(वार्ता)छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनावों के ठीक पहले बहुजन समाज पार्टी(बसपा) एवं जनता कांग्रेस(जोगी) के कल हुए गठबंधन के बाद सियासी गतिविधि तेज हो गई है। इससे नफा नुकसान को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा एवं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस नए सिरे से रणनीति बनाने में जुट गई है।
इस गठबंधन के बाद पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में आज यहां पहुंचे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने जहां पार्टी के कोर ग्रुप के नेताओं के साथ इससे पार्टी तथा राज्य के राजनीतिक परिदृश्य पर पड़ने वाले असर पर विचार विमर्श किया वहीं इस गठबंधन से मिले करारे झटके से उबर कर कांग्रेस ने आला नेताओं ने आगे की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है।
अविभाजित मध्यप्रदेश में राज्य की जांजगीर चापा संसदीय सीट से चुनाव लड़ चुके बसपा संस्थापक स्वं कांशीराम भले ही चुनाव नही जीत पाए लेकिन इस क्षेत्र में पार्टी का जो आधार खड़ा किया,वह कमजोर जरूर हुआ लेकिन खत्म नही हुआ।राज्य गठन के 18 वर्षों बाद भी जांजगीर चापा क्षेत्र में ही बसपा का आधार बना हुआ है। मौजूदा विधानसभा में बसपा को मिली एक मात्र सीट जैजेपुर इसी क्षेत्र की है।
राज्य में 2003 में हुए पहले चुनाव में बसपा को दो सीटे एवं 4.45 प्रतिशत मत हासिल हुए थे।उसे 2008 के चुनाव में भी दो सीटे हासिल हुई लेकिन दो प्रतिशत मतों का इजाफा किया और उसे 6.11 प्रतिशत मत हासिल हुए।लेकिन 2013 में हुए चुनाव में उसकी सीट घटकर एक रह गई और मत प्रतिशत भी गिरकर 4.40 प्रतिशत पर पहुंच गय़ा।
राज्य में आधार खो रही बसपा को नवगठित जनता कांग्रेस का साथ मिलने से एक तरह से जहां संजीवनी मिली है वहीं लगातार पार्टी कार्यकर्ताओं के फिर कांग्रेस में वापसी से निराशा से जूझ रही जनता कांग्रेस को भी मिला यह साथ अपने आधार को खड़ा करने का मौका मिल गया है। दोनो ही पार्टियों के पास खोने को कुछ नही है,बल्कि उन्हे इससे फायदा ही होने की उम्मीद है।