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भारत के विकास के लिये अत्याधुनिक ज्ञान-विज्ञान आवश्यक:नाईक

भारत के विकास के लिये अत्याधुनिक ज्ञान-विज्ञान आवश्यक:नाईक

इलाहाबाद,18 सितम्बर (वार्ता) दुनिया में कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच भारत के विकास के लिये प्रत्येक नागरिक को अत्याधुनिक ज्ञान-विज्ञान युगानुकूल शिक्षा ग्रहण करना आवश्यक होगा।

उत्तर प्रदेश राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय के 13वें दीक्षान्त समारोह में श्री नाईक ने कहा कि भारत के विकास के लिये आवश्यक है कि यहां का प्रत्येक नागरिक अत्याधुनिक ज्ञान-विज्ञान युगानुकूल शिक्षा ग्रहण करे। उन्होंने कहा कि बदलती हुई दुनिया में आगे बढ़ने के लिये कड़ी प्रतिस्पर्धा है। आगे बढ़ने के लिये कड़ी मेहनत के साथ-साथ प्रमाणिकता और पारदर्शिता आवश्यक है। शार्टकट से आगे बढ़ने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।

श्री नाईक ने कहा आत्मपरीक्षण करने से अपनी कमियां सामने आयेंगी और सफलता चरण चूमेगी। उन्होंने कहा प्रदेश में उच्च शिक्षा की गाड़ी अब पटरी पर आयी है। नकल विहीन परीक्षायें सभी विश्वविद्यालयों में संचालित की जा रही है। दीक्षान्त समारोह में महिला अभ्यर्थियों को दिये गये पदकों की संख्या पर खुशी जाहिर करते हुये कहा कि महिलाओं में शिक्षा का बढ़ता प्रभाव भविष्य के लिए एक शुभ संकेत है।

राज्यपाल ने कहा कि नैतिक मूल्यों के सृजन के साथ समाज और राष्ट्र के प्रति सहज निष्ठा एवं श्रद्धा का भाव रखकर भारतीय जीवन दर्शन का अनुगामी बनना होगा। भारत को विश्व गुरू का गौरव प्राप्त रहा है। विश्व बन्धुत्व की भावना का संदेश आज पुनः पूरे देश में फैलाने की आवश्यकता है। भारत की शिक्षित युवा पीढ़ी का अधिकांश भाग भौतिकवादी पाश्चात संस्कृति की चकाचौंध से डूबा हुआ है एवं वास्तविक स्वरूप पर आवरण है।

उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की डोर कमजोर होती जा रही है। गांव और शहरों का अन्तर बढ़ता जा रहा है। जिस कारण विकास का असन्तुलित दृश्य परिलक्षित होता है। इसका कारण शिक्षा व्यवस्था से मूल्य आधारित शिक्षा का दूर होना है।

दिनेश तेज

जारी वार्ता

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