नयी दिल्ली, 11 जुलाई (वार्ता) भारतीय एथलेटिक्स के पूर्व प्रमुख राष्ट्रीय कोच बहादुर सिंह ने पिछले 25 वर्षों में भारतीय एथलेटिक्स को मिली सफलता का श्रेय टीम वर्क को दिया है।
हाल ही में कोच के पद से इस्तीफा देने वाले बहादुर ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए आयोजित किये गये अपने विदाई समारोह में भारतीय एथलेटिक्स जगत की सफलता का श्रेय सामूहिक प्रयास बताया और स्कूलों में खेल की तरफ अधिक ध्यान देने की बात कही। इस इवेंट को फेसबुक पर 12,000 से अधिक लोगों ने देखा और इसका संदेश डिजिटल माध्यम से 67,000 से अधिक लोगों तक पहुंचा।
बहादुर ने कहा, “यदि भारत एशियाई एथलेटिक्स जगत में एक अग्रणी देश बन गया है, तो यह केवल एक व्यक्ति के कारण नहीं बल्कि तमाम एथलीटों, कोचों, भारतीय एथलेटिक्स संघ, भारतीय खेल प्राधिकरण और युवा मामलों और खेल मंत्रालय की सामूहिक भागीदारी के कारण हुआ है। अगर हमारे स्कूल छात्रों को खेल की ओर प्रोत्साहित करते हुए बेहतर सुविधाएं मुहैया कराएं तो भारत पूरी दुनिया में अपना नाम ऊंचा कर सकता है।”
उन्होंने कहा कि भारत को इंडोर प्रशिक्षण सुविधाओं की कमी महसूस होती है। उन्होंने कहा, “जब हमारे यहां मौसमी परिस्थितियां प्रशिक्षण के लिये अनुकूल नहीं होती तब हम अपने एथलीटों को विदेश भेजने में बहुत पैसा खर्च करते हैं। भारत को इंडोर प्रशिक्षण सुविधाओं की सख्त आवश्यकता है।”
इस अवसर पर 74 वर्षीय बहादुर के योगदान को याद करते हुए केंद्रीय खेल मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, “बहादुर सिंह पांच दशकों से प्रेरणादायक रहे हैं और उन्होंने अपनी प्रतिबद्धता, समर्पण और अनुशासन के साथ महान सेवाएं प्रदान की।”
इस अवसर पर भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के महानिदेशक संदीप प्रधान ने बहादुर सिंह को उनके भारतीय एथलेटिक्स में किये योगदान के लिये धन्यवाद कहा।
भारतीय एथलेटिक्स जगत के दिग्गज खिलाड़ियों ने भी बहादुर सिंह से जुड़ी यादों को साझा किया। 1976 ओलंपिक में 800 मीटर में फाइनलिस्ट रहे श्रीराम सिंह ने बताया कि दोनों ने 1974 में तेहरान में अपने एशियाई खेल करियर की शुरुआत की थी और 1980 में एनआईएस कोचिंग डिप्लोमा पूरा किया था।
‘उड़नपरी’ के नाम से मशहूर पद्मश्री पीटी उषा ने बहादुर सिंह को याद करते हुए कहा, “वह एक ख्याति प्राप्त एथलीट थे और उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से हर किसी को प्रेरित किया।”
भारत की पहली विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप पदक विजेता अंजू बॉबी जॉर्ज ने 2002 में राष्ट्रमंडल खेलों में अपने पदार्पण को याद करते हुए कहा,“हम सांकेतिक भाषा में संवाद करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन एक दूसरे को समझने में असफल थे।अंजू की एक जम्प बाकी थी और वह छठे स्थान पर थी लेकिन उन्होंने (बहादुर सिंह) प्रार्थना की मुद्रा में हाथ जोड़कर मुझसे कूदने के लिए कहा। मैंने कांस्य पदक जीता।”
एम.आर पूवम्मा और हिमा दास ने राष्ट्रीय शिविर के वर्तमान बैच का जिक्र करते हुए कहा कि वे उनके व्यक्तित्व और मार्गदर्शन को मिस करेंगे।
भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष डॉ नरेंद्र ध्रुव बत्रा ने 2018 में जकार्ता एशियाई खेलों को याद करते हुए बताया कि 73 वर्ष के होने के बावजूद बहादुर सिंह एक आत्मनिर्भर व्यक्ति के रूप में अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे थे। उन्होंने भारतीय एथलेटिक्स शिविर में एक स्वस्थ माहौल बनाने के लिए बहादुर सिंह की सराहना की।
भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) के अध्यक्ष आदिल सुमारिवाला ने इस ऑनलाइन विदाई समारोह का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि वह बहादुर सिंह को खेल भावना के प्रतीक के रूप में याद करेंगे।
सुमारिवाला ने कहा, “जब बहादुर सिंह ने प्रमुख कोच का पद संभाला था तब भारत ने 1994 के एशियाई खेलों में तीन एथलेटिक्स पदक जीते थे लेकिन फिर उनके मार्गदर्शन में टीम ने 2018 के एशियन खेलों में 20 पदक हासिल किये।”
एएफआई योजना समिति के अध्यक्ष डॉ ललित कुमार भनोट बहादुर सिंह के कोच बनने के वक्त एएफआई के महासचिव थे। उन्होंने सिंह को उनकी दूरदृष्टि और ईमानदारी के लिये याद किया।
शुभम राज
वार्ता