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भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी को अर्थशास्त्र का नोबल पुरस्कार

स्टॉकहोम, 14 अक्टूबर (स्पूतनिक) भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक अभिजीत बनर्जी, उनकी पत्नी इश्तर डूफलो और अमेरिका के अर्थशास्त्री माइकल क्रेमर को वर्ष 2019 का अर्थशास्त्र का नोबल पुरस्कार देने की घोषणा की गयी है।
तीनों अर्थशास्त्रियों को दुनिया भर में गरीबी दूर करने की दिशा में एक्सपेरीमेंट अप्रोच के लिए यह पुरस्कार दिया गया है।
श्री बनर्जी भारतीय मूल के दूसरे अर्थशास्त्री हैं जिन्हें अर्थशास्त्र का नोबल पुरस्कार मिला है। उनसे पहले भारतीय अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन को 1998 में अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार मिला था।
नोबल पुरस्कार से सम्मानित किये जाने वाले सबसे पहले भारतीय नागरिक महान लेखक एवं कवि रवींद्र नाथ टैगोर थे जिन्हें 1913 में उनके काव्य संग्रह ‘गीतांजलि’ के लिए साहित्य का नोबल पुरस्कार प्रदान किया गया था।
इस बार यह पुरस्कार हासिल करने वाले श्री बनर्जी ही वह शख्स थे जिन्होंने 2019 के आम चुनाव के लिए कांग्रेस के घोषणापत्र में न्यूनतम आय योजना को शामिल किये जाने की सलाह दी थी। वर्ष 1961 में कलकत्ता (अब कोलकाता) में जन्मे श्री बनर्जी ने साउथ प्वाइंट स्कूल एंड प्रेसीडेंसी कालेज से 1981 में अर्थशास्त्र में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके दो साल बाद 1983 में उन्होंने दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। वर्ष 1988 में वह अर्थशास्त्र में पी.एच.डी. की डिग्री के लिए हार्वर्ड चले गये। वह मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी में अर्थशास्त्र के फोर्ड फाउंडेशन इंटरनेशनल प्रोफेसर तथा अब्दुल लतीफ जमील पावर्टी एक्शन लैब के सह-संस्थापक भी हैं।
श्री बनर्जी ब्यूरो फॉर रिसर्च इन इकोनोमिक एनालिसिस ऑफ डेवलपमेंट के अध्यक्ष और नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनोमिक रिचर्स के शोध सहयोगी भी रहे। उनके कार्यों का मुख्य केंद्र विकासात्मक अर्थशास्त्र रहा है। वर्ष 2014 में वह अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंस के फेलोशिप के लिए चुने गये। वह 2009 में अर्थशास्त्र के समाज विज्ञान श्रेणी में इंफोसिस पुरस्कार से सम्मानित हुए।
वर्ष 2016 में श्री बनर्जी को वर्ल्ड इकोनोमी के लिए केइल इंस्टीट्यूट से बर्नहार्ड-हार्म्स पुरस्कार हासिल हुआ। उन्होंने 2019 में रिडिजायनिंग सोशल पॉलिसी पर एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बैंक ऑफ इंडिया के 34वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया।
श्री बनर्जी की ही एक शोध पर देश में दिव्यांग बच्चों की स्कूली शिक्षा व्यवस्था में सुधार किया गया है। इसका लाभ करीब 50 लाख बच्चों को मिला है।
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत कई प्रख्यात हस्तियों ने श्री बनर्जी को बधाई दी है और कहा है कि उन्हें यह पुरस्कार मिलने से देश गौरवान्वित महसूस कर रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने भी श्री बनर्जी को बधाई दी है। इन सभी नेताओं ने श्री बनर्जी के साथ-साथ उनकी पत्नी और माइकल क्रेमर को भी बधाई दी है जिन्हें श्री बनर्जी के साथ यह पुरस्कार संयुक्त रूप से दिया गया है।
श्री कोविंद ने अपने संदेश में कहा है कि इन अर्थशास्त्रियों ने दुनिया भर में गरीबी को मिटाने के लिए प्रायोगिक दृष्टिकोण अपनाया है। उनके शोध ने भारत और पूरी दुनिया को गरीबी से लड़ने में मदद प्रदान की है।
श्री नायडू ने ट्वीट किया, “हमें इस बात की हार्दिक प्रसन्नता है कि इस बार भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक श्री बनर्जी को यह सम्मान मिला है।”
श्री मोदी ने तीनों अर्थशास्त्रियों को बधाई देते हुए कहा है कि उन्होंने गरीबी मिटाने की दिशा में उल्लेखनीय योगदान दिया है। ये सभी बधाई के पात्र हैं।
श्रीमती गांधी ने श्री बनर्जी को बधाई देते हुए कहा है कि उनको मिले इस सम्मान से भारत का मस्तक ऊंचा हुआ है। उन्होंने पूरे विश्व में गरीबी दूर करने के लिए एक प्रायोगिक दृष्टिकोण अपनाया है और उससे भारत समेत दुनिया के कई देशों के करोड़ों लोगों को फायदा होगा। उनका यह दृष्टिकोण और प्रयोग काफी प्रासंगिक है। उनको मिले इस सम्मान से देश का हर नागरिक बहुत खुश है।
गौरतलब है कि स्वीडन की जानी-मानी हस्ती अल्फ्रेड नोबल के नाम पर नोबल पुरस्कारों की शुरुआत की गयी थी और 1969 में पहला पुरस्कार दिया गया था। नोबल पुरस्कार के तहत विजेताओं को नौ मिलियन स्वीडिश क्रोनोर प्रदान किया जाते हैं।
यामिनी.श्रवण
स्पूतनिक
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