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भारत साम्राज्यवादियों के हमले से मातृभाषाओं को बचाने में कामयाब रहा : उपराष्ट्रपति

पणजी, 24 मार्च (वार्ता)उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने रविवार को कहा कि साम्राज्यवादी ताकतों के प्रभाव के कारण लैटिन अमेरिकी देश अपनी मातृभाषा से दूर हो गए हैं लेकिन भारत अपने आकार और पारंपरिक संस्कृति के कारण अपनी मातृभाषा को इन ताकतों से बचाने में कामयाब रहा है।
श्री नायडू ने गाेवा में डोना पौला के निकट स्थित सीएसआईआर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ ओसिनोग्राफी में छात्रों और वैज्ञानिकों को सम्बोधित करते हुए कहा, मैं लैटिन अमेरिकी देशों में रहा हूँ तथा मुझे लोगों से उनकी मातृभाषा के बारे में जानने में रूचि है। मैं उनसे जानने की कोशिश करता हूँ कि क्या वे अपनी मातृभाषा को बढ़ावा दे रहे है या नहीं।”
उन्होंने कहा,“ यदि हम इतिहास में जाए तो पाएंगे कि साम्राज्यवादी देशों ने कब्ज़ा करने के बाद सबसे पहले उन देशों की संस्कृति और फिर अन्य चीजों को नष्ट किया। । अंग्रेजों ने भी यह कोशिश की थी। उन्होंने नौकरियों के लिए अंग्रेजी को योग्यता बनाने की कोशिश की लेकिन भारत की संस्कृति और देश के लोगों के विवेक की वजह से वे कामयाब नहीं हो पाएं। ”

श्री नायडू ने कहा“ इसी वजह से लोगों को उनकी मातृ भाषा को बढ़ावा देने को कहिए और यह भी प्रेरित करें कि वे अपनी मातृ भाषा का सम्मान करें। अगर आप अपनी मातृभाषा का सम्मान कर रहे हैं तो आप अन्य भाषाओं की उपेक्षा नहीं कर रहे हैं। अाप जितनी चाहे उतनी भाषाएं सीख सकते हैं और इसमें कोई बुराई भी नहीं है। जर्मनी के विद्वान वेदों और उपानिषदों पर शोध कर रहे हैं और मैंने राज्यसभा का चेयरमैन बनने के बाद 22 सदस्यों को उनकी मातृभाषा में बाेलने की अनुमति प्रदान की थी।”
जतिन जितेन्द्र
वार्ता
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