नयी दिल्ली, 15 मई (वार्ता) राजधानी दिल्ली के मुंडका अग्निकांड मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने स्वतः संज्ञान लेकर रविवार को दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर घटना के संबंध में एक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।
एनएचआरसी ने घटना की जांच के लिए घटना घटनास्थल पर एक दल शीघ्र भेजने का फैसला किया है।
एनएचआरसी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि 27 लोगों की मौत की इस विनाशकारी घटना ने अग्नि सुरक्षा तंत्र की खामियों को उजागर किया है। इस से यह भी पता चलता है कि दिल्ली के संबंधित अधिकारियों ने अतीत में इसी तरह की विनाशकारी घटनाओं से कोई खास सीख नहीं ली। अग्नि सुरक्षा के समुचित उपाय करने पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया।
एनएचआरसी ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को दो हफ्तों के भीतर एक रिपोर्ट करने के लिए एक नोटिस जारी किया। आयोग ने संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी सुनिश्चित करने, अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई, सरकार द्वारा दी गई राहत, पुनर्वास की स्थिति और सरकार द्वारा दी गई राहत/पुनर्वास की स्थिति को दुरुस्त करने संबंधी कार्यवाही रिपोर्ट पेश करने को कहा।
आयोग ने मीडिया रिपोर्टों के का संज्ञान लेते हुए कहा है कि यह विनाशकारी घटना राष्ट्रीय राजधानी में संबंधित अधिकारियों के वैधानिक कर्तव्यों की पूरी उदासीनता कारण पीड़ितों के मानवाधिकारों के उल्लंघन का सबसे खराब मामला है।
आयोग ने मीडिया रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि दिल्ली के कई क्षेत्रों में अनधिकृत निर्माण के कारण आग लगने की संभावना बनी हुई है।
एनएचआरसी के बयान में 2019 में दिल्ली के अनाज मंडी क्षेत्र में आग की घटना का जिक्र किया गया है। इस घटना में 43 लोगों की मृत्यु हो गई थी। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए अधिकारियों को समस्या से निपटने के लिए एक कार्य योजना निर्धारित करने का निर्देश दिया था।
आयोग का कहना है रिपोर्ट की गई थी कि आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा एक विशेष कार्य बल (एसटीएफ) का गठन किया गया था और एमसीडी द्वारा एक अंतर-विभागीय समिति का गठन किया गया था। पैनल ने वर्ष 2020 में अपनी कार्य योजना प्रस्तुत की थी और एसटीएफ ने 2021 में अपनी सिफारिशें दीं, लेकिन दोनों अभी तक लागू नहीं किए गए हैं।
बीरेंद्र.संजय
वार्ता