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मानवाधिकार हनन के मामलों का आयोग लेता है स्वत: संज्ञान

चंडीगढ़, 24 फरवरी (वार्ता) हरियाणा मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एस.के.मित्तल ने कहा है कि मौलिक अधिकारों का जहां हनन होता है, वहीं मानवाधिकारों का उल्लघंन है। ऐसे मामलों में आयोग शिकायत मिलने पर या स्वत: संज्ञान लेता है।
पिछले एक वर्ष के दौरान आयोग द्वारा 3218 मामलों का निपटारा किया गया। जिनमें 38 मामले स्वत: संज्ञान के थे तथा पीडि़तों को 56.94 लाख रुपये का मुआवजा दिलवाया गया। यह जानकारी न्यायमूर्ति मित्तल ने आज आयोग के कार्यालय में एक पत्रकार सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए दी। उनके साथ आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति के.सी. पुरी व दीप भाटिया तथा आयोग के सचिव वजीर सिंह भी उपस्थित थे।
श्री मित्तल ने कहा कि मानवाधिकार आयोग के बारे आमजन तक जानकारी देने के लिए शीघ्र ही सार्वजनिक कार्यालयों पर सूचना पट्ट प्रदर्शित किए जाएंगे, जिन पर मानवाधिकार के बारे जानकारी दी जाएगी। आयोग की सिफारिशों को राज्य सरकार द्वारा क्रियान्वित किया जाता है और 95 प्रतिशत से अधिक शिकायतों पर सरकार द्वारा संज्ञान लेकर विभागीय स्तर पर कार्रवाई की गई है, जिससे आयोग संतुष्ट है।
उन्होंने कहा कि देश को आजाद हुए 70 वर्ष से अधिक हो गए हैं। मानवाधिकार आयोग का मुख्य उद्देश्य आम लोगों तक पहुंच बनाकर उनकी सहायता करना है। आयोग की ओर से गुरुग्राम में भी एक महीने में दो दिन अर्थात पहले सोमवार व दूसरे सप्ताह के शुक्रवार को दक्षिण हरियाणा के छ: जिलों नामत: गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, महेन्द्रगढ़, रेवाड़ी तथा नूह जिलों से संबंधित शिकायतों की सुनवाई की जाती है।
उन्होंने बताया कि आयोग नियमित रूप से जेलों का निरीक्षण भी करता है और कैदियों को जेल के अंदर पानी, बिजली, भोजन व चिकित्सा जैसी मिल रही मुलभूत सुविधाओं का निरीक्षण किया जाता है। आयोग द्वारा गुरुग्राम, अम्बाला, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, रेवाड़ी तथा फरीदाबाद जेलों का निरीक्षण किया गया।
शर्मा
वार्ता
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