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लोकरुचि


मां यशोदा के हाथों बादाम का हलवा खाकर कान्हा हुये स्वस्थ

मां यशोदा के हाथों बादाम का हलवा खाकर कान्हा हुये स्वस्थ

मथुरा, 18 जून (वार्ता) हर पल भक्तिरस में सराबोर रहने वाली कान्हा नगरी के वृन्दावन स्थित प्राचीन राधारमण मंदिर में चल रहे निकुंज उत्सव में जलयात्रा के दौरान शीतल जल से अधिक स्नान करने से राधारमण लाल ज्वर से पीड़ित हो गए।

      मां यशोदा का लाला ज्वर से पीड़ित हो जाय तो मां का चिंतित होना स्वाभाविक है। उन्होंने उनको ज्वर से मुक्ति दिलाने के लिए उन्हें बादाम का हलुआ खिलाया तो कान्हा स्वस्थ हो गए।

    इस भावपूर्ण लीला का प्रस्तुतीकरण सोमवार की शाम राधारानी की नगरी वृन्दावन के राधारमण मंदिर में चल रहे  निकुंज उत्सव में राग सेवा के साथ हुआ तो ठाकुर की इस नयनाभिराम लीला ने भक्तों को भाव विभोर कर दिया।

    ब्रज संस्कृति के पुरोधा राधारमण मंदिर के सेवायत आचार्य श्रीवत्स गोस्वामी ने बताया कि वैष्णव परंपरा में भगवान के चार उत्सव प्रमुख माने गए हैं। जहां बैशाख मास में चन्दन यात्रा आयोजित होती है वहीं ज्येष्ठ मास में जलयात्रा, अषाढ़ मास में रथयात्रा एवं कार्तिक मास में रासयात्रा का आयोजन किया जाता है।

आचार्य गोस्वामी ने बताया कि सोमवार की शाम निकुंज उत्सव में कल्पवृक्ष की विशेष निकुंज में राधारमणलाल को सजाया गया था। निकुंज मे सखी मंजरियों की अभिलाषा को पूरा करने के लिए प्रिया प्रियतम ने स्नान करते हुए जगमोहन में दर्शन दिये। निकुंज में न केवल विभिन्न प्रकार के कल्पवृक्ष थे बल्कि उन पर लगे सभी ऋतुओं के फल वातावरण में चार चांद लगा रहे थे।

     केले के पत्तों के साथ फूल बंगले में  उकेरे गए ऋतुओं के फलों की झांकी हर किसी के लिए मनभावन थी। बंगले में केले के पत्तों से बने हाथी, मोर, कोयल, हंस जैसे पशु पक्षी आदि ऐसे शोभायमान हो रहे थे जैसे वे प्रिया प्रियतम का जयकार करते हुए झूम रहे हों। निकुंज में आठ सखियां प्रिया-प्रियतम के दर्शन कर उनकी स्तुति कर रही थीं।

      उन्होने बताया कि इस अवसर पर जब मिट्टी के 108 बड़े घड़ों में एकत्रित शीतल जल से राधारमण लाल को स्नान कराया गया तो वे बुखार से पीड़ित हो गए। मां यशोदा को लाला के अस्वस्थ होने के बारे में पता चला तो उन्होंने बादाम का हलुवा ठाकुर को खिलाकर उनका ज्वर शांत किया।

      वनबिहार के अंतर्गत ठाकुरजी कुमुद वन में विराजमान हुए जहां कमल ही कमल थे। सायंकाल की संध्या आरती पूर्ण राजोपचार विधि से आचार्य सुवर्ण गोस्वामी ने करके जलयात्रा का समापन भक्तों द्वारा किये गए राधारमणलाल के जयकारे से  किया।

सं प्रदीप

वार्ता  

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