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लोकरुचि


मथुरा में शरद पूर्णिमा के लिये छप्पन भोग अर्पित करने की तैयारी शुरू

मथुरा में शरद पूर्णिमा के लिये छप्पन भोग अर्पित करने की तैयारी शुरू

मथुरा 16 अक्टूबर (वार्ता)शरद पूर्णिमा के पावन अवसर पर गिर्राज तलहटी में अलौकिक छप्पन भोग के आयोजन की तैयारियां शुरू हो गयी है। इस बार छप्पन भोग का आयोजन 23 अक्टूबर को होगा।

कष्र्णि संत गुरूशरणानन्द महराज ने मंगलवार को यहां बताया कि छप्पन भोग गिर्राज की सामूहिक आराधना का पर्व है। इस पर्व में समाज के सभी वर्गो लोग मिलकर गिर्राज जी को छप्पन भोग अर्पित करते हैं। छप्पन भोग द्वापर की उस परंपरा का अंग है जिसमें स्वयं श्यामसुन्दर ने ब्रजवासियों से गिर्राज का पूजन करने को कहा था और ब्रजवासी उस समय 56 प्रकार के व्यंजन बनाकर लाए थे। छप्पन प्रकार के व्यंजनों के लाने के कारण ही इस आयोजन का नाम भले ही छप्पन भोग पड़ गया हो लेकिन आज व्यंजनों की संख्या बहुत अधिक हो जाती है। उन्होने कहा कि गिर्राज जी भाव के भूखे हैं और आयोजक छप्पन भोग आयोजन में अपना सब कुछ अर्पण कर देना चाहता है।

गिर्राज सेवा ट्रस्ट इस आयोजन को पिछले 25 वर्षों से करता आ रहा है तथा यह उसका छब्बीसवां वर्ष है। हर साल छप्पन भोग का आयोजन पिछले वर्ष से अधिक भव्य हो जाता है।

गिर्राज सेवा ट्रस्ट के वरिष्ठ सदस्य ओमप्रकाश किलेवालों ने बताया कि इस आयोजन में लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं इसलिए इस बार तीन किलोमीटर के क्षेत्र को तीन सेक्टर में बांटकर भीड़ पर नियंत्रण किया जाएगा। सभी व्यवस्थाओं के लिए अलग अलग समितियां बनाई गई हैं। बड़ी परिक्रमा मार्ग में इसके लिए दानघाटी मंदिर से छप्पन भोग स्थल तक पांच तोरण द्वार बनाए जा रहे हैं। इस तीन किलोमीटर क्षेत्र को फूलों की घाटी का रूप पर्यावरण के प्रति जागरूकता के लिए दिया जा रहा है।

श्री किलेवालों ने बताया कि द्वापर में ठाकुर ने शरद पूर्णिमा पर गोपियों के साथ महारास किया था। छप्पन भोग में गिर्राज को बेशकीमती हीरे, पन्ने, नीलम, पुखराज जैसे रत्नों से इस प्रकार सजाया जाएगा कि महारास का दृश्य जीवन्त हो सके। वातावरण को धार्मिक स्वरूप देने के लिए इस दिन भजन संध्या का भी आयोजन व्रज वसुंधरा गोवर्धन में किया जाएगा। इसी स्थल पर ब्रज के प्रमुख संत एवं वैष्णवों की सेवा की जाएगी।

      ओम प्रकाश किलेवालों का कहना था कि छप्पन भोग से संबंधित सभी कार्यक्रम विधि विधान से किये जाते है। जहां आमंत्रण पत्रिका का विमोचन किया जा चुका है वहीं प्रसाद सामग्री लेकर अन्नपूर्णा रथ एक शुभ मुहूर्त पर मथुरा से गोवर्धन जाएगा। छप्पन भोग को  1111 टोकरियों में भरकर मानव श्रंखला के द्वारा प्रसाद बनाने के स्थल से छप्पन भोग स्थल तक पहुंचाया जाएगा।

     समिति के सदस्य विपिन अग्रवाल ने बताया कि गिर्राज जी का श्रंगार  वैष्णव पद्धति से नाथद्वारा शैली में किया जाएगा। इस श्रंगार के लिए विदेशों तक से फूल मंगाए गए हैं जब कि बंगलौर से रजनीगंधा और कुंद के फूलों की व्यवस्था की गई है।छप्पन भोग स्थल पर आनेवाले प्रत्येक भक्त को प्रसाद देने की व्यवस्था की गई है।

     उन्होंने बताया कि 22 अक्टूबर को प्रातः नौ बजे से अपरान्ह दो बजे तक जड़ी बूटियों एवं पंचामृत तथा सप्त पावन नदियों के जल से गिर्राज जी का अभिषेक वैदिक मंत्रों के मध्य किया जाएगा।  23 अक्टूर को अपरान्ह दो बजे आरती के बाद दर्शन खुलेंगे और रात 12 बजे आरती के बाद दर्शन बंद हो जाएंगे। कुल मिलाकर भाव प्रधान इस छप्पन भोग का आयोजन श्रद्धालुओं के लिए अविष्मर्णीय बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

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