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मनोरंजन-पंकज मल्लिक बहुमुखी दो अंतिम मुंबई

वर्ष 1936 में प्रदर्शित फिल्म.देवदास.बतौर संगीत निर्देशक पंकज मल्लिक के सिने करियर की महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुयी। शरतचंद्र चटो्पाध्याय के उपन्यास पर आधारित इस फिल्म में कुंदन लाल सहगल ने मुख्य भूमिका निभाई थी।पी.सी.बरूआ के निर्देशन में बनी इस फिल्म में भी पंकज मल्लिक को एक बार फिर से आर.सी.बोराल के साथ काम करने का अवसर मिला। फिल्म और संगीत की सफलता के साथ हीं पंकज मल्लिक बतौर संगीतकार फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित हो गये। सहगल उनके प्रिय अभिनेता और पार्श्वगायक हो गये । बाद में पंकज मल्लिक ने कई फिल्मों में सहगल के गाये गीतों के लिये संगीत निर्देशन किया ।
पंकज मल्लिक ने संगीत निर्देशन और पार्श्वगायन के अलावा कुछ फिल्मों में अभिनय भी किया। इनमें मुक्ति.अधिकार.रंजन आंधी. अलोछाया.डॉक्टर.और नर्तकी.जैसी फिल्में प्रमुख है। इन सबके साथ हीं पंकज मल्लिक ने कई किताबें भी लिखी । इनमें गीत वाल्मीकि. स्वर लिपिका.गीत मंजरी और महिषासुर मर्दनी.शामिल है। पंकज मल्लिक ने टैगोर रचित कई कविताओं के लिये भी संगीत दिया। पंकज मल्लिक के गुरू रवीन्द्र नाथ टैगोर से जुड़ने का वाकया
दिलचस्प है। एक बार पंकज मल्लिक को कॉलेज के किसी कार्यक्रम में टैगोर की एक कविता पर संगीत निर्देशन करना था।
जब पंकज मल्लिक टैगोर से इस बारे में बातचीत करने पहुंचे तो उन्हें घंटो इंतजार करना पड़ा। बाद में टैगोर ने अपनी एक कविता .दिनेर शेषे घूमर देशे.पंकज मल्लिक को सुनाई और उस पर संगीत बनाने को कहा। पंकज मल्लिक ने तुंरत उस कविता पर संगीत बनाकर टैगोर को सुनाया जिसे सुनकार टैगोर काफी प्रभावित हुये और अपनी कविता पर पंकज मल्लिक को कॉलेज में संगीत देने के लिये राजी हो गये।
संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान को देखते हुये पंकज मल्लिक वर्ष 1970 में भारत सरकार की ओर से पदमश्री से सम्मानित किये गये । वर्ष 1972 में फिल्म जगत के सर्वोच्च सम्मान दादा फाल्के पुरस्कार से भी पंकज मल्लिक को सम्मानित किया गया। अपने जादुई संगीत निर्देशन से श्रोताओं के बीच खास पहचान बनाने वाले यह महान संगीतकार 19 फरवरी 1978 को इस दुनिया को अलविदा कह गये ।
प्रेम जितेन्द्र
वार्ता
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