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मनोरंजन-शत्रुध्न जन्मदिन दो मुंबई

वर्ष 1970 में प्रदर्शित फिल्म खिलौना की सफलता के बाद शत्रुध्न सिन्हा को फिल्मों में काम मिलने लगा ।वर्ष 1971 में प्रदर्शित फिल्म मेरे अपने उनके करियर के लिये महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुयी ।युवा राजनीति पर बनी इस फिल्म में विनोद खन्ना ने भी अहम भूमिका निभाई थी।फिल्म में शत्रुध्न सिन्हा का बोला गया यह संवाद श्याम आये तो उससे कह देना छैनु आया था ,बहुत गरमी है खून में तो बेशक आ जाये मैदान में दर्शको के बीच काफी लोकप्रिय हुये ।
फिल्म मेरे अपने की सफलता के बाद पारस ,गैंबलर,भाई हो तो ऐसा,रामपुर का लक्षमण,ब्लैकमेल जैसी फिल्मों में मिली कामयाबी के जरिये शत्रुध्न सिन्हा दर्शको के बीच अपने अभिनय की धाक जमाते हुये ऐसी स्थिति में पहुंच गये जहां वह फिल्म में अपनी भूमिका स्वयं चुन सकते थे।
शत्रुध्न सिन्हा की लोकप्रियता का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि फिल्म में शत्रुध्न सिंहा के हिस्से में महज दो या तीन सीन ही रहते लेकिन इन सीनों मे जब कभी वह दिखाई देते तो अपनी संवाद अदायगी और तेवर से वह नायक की तुलना में कहीं भारी पड़ते। शत्रुध्न सिन्हा ने दर्शको को इस कदर दीवाना बनाया कि नायक की तुलना में उन्हें अधिक वाहवाही मिलती। यह फिल्म इंडस्ट्री के इतिहास में पहला मौका था जब किसी खलनायक के पर्दे पर आने पर दर्शकों की ताली और सीटियां बजने लगती थी ।
इस बीच फिल्मकारों ने शत्रुध्न सिंहा की लोकप्रियता को देखते हुये उन्हें बतौर अभिनेता अपनी फिल्मों के लिये साइन करना शुरू कर दिया।वर्ष 1976 में सुभाष घई के बैनर तले बनी फिल्म कालीचरण वह पहली फिल्म थी जिसमें शत्रुध्न सिन्हा की अदाकारी का जादू दर्शकों के सर चढ़कर बोला। फिल्म में अपनी जबरदस्त संवाद अदायगी और दोहरी भूमिका में शत्रुध्न सिन्हा ने अभिनेता के रूप में भी अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहे।
प्रेम
जारी वार्ता
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