भारतPosted at: Apr 20 2018 9:23PM महाभियोग कांग्रेस के राजनीतिक प्रतिशोध का औज़ार -जेटली
नयी दिल्ली 20 अप्रैल (वार्ता) केन्द्रीय वित्त मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता अरुण जेटली ने देश के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के विरुद्ध महाभियोग लाने के विपक्ष के प्रयासों को आड़े हाथों लेते हुए आज कहा कि कांग्रेस प्रतिशोध के लिए महाभियोग को राजनीतिक औज़ार के रूप में प्रयोग करने का प्रयास कर रही है।
श्री जेटली ने ‘जज लोया मौत केस - एक प्रकार के न्यायिक गदर का कारक’ विषय पर आज एक ब्लॉग लिखा। उन्होंनेे कहा कि जनहित याचिकाएं दायर करने वाले अब संस्थाओं को बाधित कर रहे हैं। वे झूठे मामलों को उठाते हैं और बहुत शिद्दत से उसके झूठ को आगे बढ़ाते हैं, न्यायपालिका को डराने का काम करते हैं।
विपक्ष के मुख्य न्यायाधीश के विरुद्ध महाभियोग के मामले पर उन्होंने कहा कि महाभियोग किसी न्यायाधीश या संवैधानिक पदासीन व्यक्ति की अक्षमता या सिद्ध कदाचार के लिए किया जाता है। कांग्रेस पार्टी ने महाभियोग का प्रयोग एक राजनीतिक औज़ार के रूप में शुरू किया है और उसने प्रतिशोध का यह कदम तब उठाया है जब जज लोया मामले में कांग्रेस का झूठ प्रमाणित हो गया है।
उन्होंने कहा कि महाभियोग प्रस्ताव न्यायिक स्वतंत्रता के लिए गंभीर खतरा है और सबसे बड़ा खतरा तो खुद बंटी हुई अदालत है। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के विरुद्ध प्रेस कान्फ्रेंस करने वाले चार जजों को अनुभवी एवं प्रामाणिक बताते हुए उनसे सवाल किया कि क्या उन्होंने जज लोया मामले में टिप्पणी करने से पहले तथ्यों की पड़ताल की थी। क्या लंबित मामलों पर इसलिए टिप्पणी की जानी चाहिए कि पूर्वाग्रह ग्रसित वातावरण में अनेक टिप्पणियां की गईं हैं। भले ही उससे झूठ को प्रमाणित करने के प्रयास मज़बूत होते हों।
श्री जेटली ने यह भी सवाल किया, “क्या महाभियोग का प्रस्ताव उस प्रेस कान्फ्रेंस का परिणाम है? क्या इस महाभियोग से यह परंपरा नहीं पड़ेगी कि राजनीतिक पार्टियां विवादास्पद मामलों की सुनवाई करने वाले जजों को डराने के लिए महाभियोग को एक औज़ार के रूप में प्रयोग करने लगेंगे?”
उन्होंने कहा कि सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का कुछ भी लेना देना नहीं था। उसकी कथित मुठभेड़ केन्द्रीय एजेंसियों द्वारा गुजरात पुलिस के सहयोग से की गयी थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इसकी जानकारी उन्होंने स्वयं तथ्यों के साथ दे दी थी। जज लोया की मौत के मामले को वही लोग उठा रहे हैं जो लोग अमित शाह के सोहराबुद्दीन केस को लेकर सक्रिय थे। उन्होंने कारवां पत्रिका में छपे लेख को जानबूझ कर सुनियोजित ढंग से एक बड़ा विवाद खड़ा करने के उद्देश्य से लिखवाया गया करार दिया।
उन्होंने कहा कि आज न्यायपालिका को बहुत से लोगों के षड़यंत्र एवं दुस्साहस की कीमत चुकानी पड़ी है। यह न्यायिक राजनीति और राजनीतिक दूरदर्शिता के लिए अच्छा समय नहीं है।
सचिन
वार्ता