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महिलाओं को स्वयं स्थापित करनी होगी अपनी गरिमा

दरभंगा 11 दिसम्बर (वार्ता) वरिष्ठ शिक्षाविद मो. मकसूद आलम ने कहा कि महिलाओं को अपनी गरिमा स्वयं बनानी होगी और पुरूषों को भी समझना होगा कि महिला भी मनुष्य है।
श्री आलम ने यहां ‘समाज में महिलाओं का सम्मान’ विषयक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय समाज में महिलाओं को सदैव प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त रहा है। आज भी कन्याओं को देवी रूप में पूजा जाता हैं लेकिन वैचारिक प्रदूषण के शिकार लोग महिलाओं से भेद-भाव करते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि समाज निर्माण में महिलाओं की भूमिका पुरुषों से अधिक है।
शिक्षाविद ने कहा कि सीता, मरियम और फातिमा भी महिलाओं के ही स्वरूप हैं लेकिन आधुनिक युग में महिलाओं के रोल मॉडल बदल गये है। इसके चलते समाज में उनके सम्मान में भी कमी आयी है। इंसानियत और नैतिक शिक्षा के बल पर ही महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों को रोका जा सकता है।
इस मौके पर श्री संजय चौधरी ने कहा कि माना जाता है कि देवता वहीं वास करते हैं जहां महिलाओं को सम्मान मिलता है। बेटी-बहन, माता तीनों ही स्वरूपों में महिलाएं सम्मानित भूमिका में रही हैं। फिर भी आंचल में है दूध और आंखों में है पानी महिला की यही नियति बनी हुई है। उन्नाव, हैदराबाद और दरभंगा में बच्चियों के साथ घटी घटना बताती है कि महिला न सिर्फ असुरक्षित हैं बल्कि उन्हें सम्मानित नजरिये से भी नहीं देखा जाता है। समाज की नजरे बदलेगी तो महिला सम्मान स्वतः स्थापित हो जायेगी।
सं सूरज
वार्ता
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