राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Nov 16 2019 11:32PM योगी सरकार कर सकती है आयु निर्धारण का फैसला : उच्च न्यायालय
लखनऊ 16 नवम्बर (वार्ता) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने राज्य लोक सेवा अधिकरण के अध्यक्ष , उपाध्यक्ष और सदस्यों के मामले में फैसला देते हुए कहा है कि राज्य सरकार इनकी सेवानिवृति आयु निर्धारित कर सकती है।
अदालत ने सरकार द्वारा चेयरमैन और सदस्यों की सेवानिवृति आयु घटाकर 65 व 62 किये जाने को उचित ठहराया है लेकिन सरकार के उस आदेश को खरिज कर दिया है जिसमे आयु घटाने का प्रभाव पूर्व वर्ती लागू किया था । कोर्ट ने पहले से काम कर रहे चेयरमैन व अन्य सदस्यों पर सरकार का सेवानिवृति आयु कम करने का आदेश कानून के खिलाफ मानते हुए निरस्त कर दिया है ।
अदालत के इस आदेश से वर्तमान में ट्रिब्यूनल में कार्य कर रहे चेयरमैन , वाइसचेयरमैन तथा सदस्य कार्य करते रहेंगे । न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल व न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की पीठ ने यह आदेश न्यायमूर्ति रहे वर्तमान में ट्रिब्यूनल के चेयरमैन सुधीर सक्सेना व अन्य की ओर से अधिवक्तता डॉक्टर एल पी मिश्रा व गौरव मेहरोत्रा तथा जयदीप नारायन माथुर द्वारा दायर याचिका को आंशिक स्वीकार करते हुए दिए है ।
याचिका दायर कर कहा गया कि ट्रिब्यूनल का चेयरमैन हाईकोर्ट से सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति होंगे तथा अन्य सदस्य भी प्रशासनिक सेवा से सेवानिवृत्त ही होंगे । कहा गया कि एक्ट में प्रावधान है कि नियुक्ति से आगे 5 वर्ष तक और बाद में रिन्यूअल का प्रवधान है । बाद में सरकार ने चेयरमैन की सेवानिवृति आयु 70 से घटाकर 65 कर दी तथा वाइस चेयरमैन व सदस्यों की आयु 65 से कम करके 62 कर दी थी । साथ ही सरकार ने कहा कि यह आदेश पूर्ववर्ती प्रभाव का होगा । इससे वर्तमान मे कार्यरत लोग भी प्रभावित हो गए ।
अदालत ने फैसला देते हुए सरकार के आयु घटाने ने निर्णय को उचित ठहराया है । जो आगे होने वाली नियुक्तियों पर लागू होगा । अदालत ने सरकार के द्वारा पारित पूर्ववर्ती प्रभाव के आदेश को निरस्त कर दिया है ।
सं प्रदीप
वार्ता