लखनऊ, 04 जून (वार्ता) उत्तर प्रदेश सरकार पर 69 हजार शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में धांधली और अनियमितता का आरोप लगाते हुये कांग्रेस ने कहा कि उच्च न्यायालय के काउंसलिंग में रोक के निर्णय से अभ्यर्थियाें का भविष्य अंधकार में डूब गया है।
पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष वीरेंद्र चैाधरी ने कहा कि सरकार ने छह जनवरी 2019 को भर्ती की परीक्षा करवाई लेकिन ये अपने आप में पहली ऐसी परीक्षा थी जिसमें पासिंग मार्क्स का जिक्र नहीं किया गया। परीक्षा होने के एक दिन बाद सरकार ने पासिंग मार्क्स का जिक्र किया, जिसमें सामान्य वर्ग के लिए 97 अंक एवं आरक्षित वर्ग के लिए 90 अंक की बात करी गयी, जिसके बाद विवाद उत्पन्न हुआ और एक पक्ष कोर्ट चला गया। एक साल तक कोर्ट में चले पासिंग मार्क्स विवाद को लेकर भर्ती रुकी रही जो कि पूर्ण रूप से अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा था, यदि वो परीक्षा से पहले अर्हता अंक निर्धारित करते तो भर्ती कोर्ट नहीं जाती।
प्रदेश महासचिव मनोज यादव ने कहा कि परीक्षा से पूर्व पेपर की उत्तरकुंजी भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी जिसकी बाद में सरकार ने जांच की खानापूर्ति मात्र की। जब परीक्षा का परिणाम आया तो उसमें भारी मात्रा में घोटाला देखने को मिला, अयोग्य अभ्यर्थियों के सर्वाधिक अंक, एक ही कक्ष के प्रतियोगीयों के एक जैसे अंक, एक परिवार के लोगों के एक जैसे अंक आदि विवाद परिणाम आने के उपरांत देखने को मिले।
इन सभी विवादों को दरकिनार करके सरकार अपनी हठधर्मिता से बिना किसी का पक्ष सुने आत्ममुग्ध होकर भर्ती करने पर तुली थी, तब उत्तर कुंजी विवाद पर अदालत ने भर्ती पुनः रोक दी, जिसमें कि सरकार द्वारा जारी उत्तरकुंजी में कई प्रश्न विवादित थे, जिनका उत्तर एनसीईआरटी या एससीईआरटी जैसी सरकारी संस्थाओं से भी भिन्न था जिसको कि सरकार ने उत्तरकुंजी में सही माना था ।
उन्होने कहा कि शिक्षक भर्ती के परिणाम में एक और घोटाला सामने आया है जिसमें सामान्य उपनाम वाली जातियों के अभ्यर्थी आरक्षित वर्गों में दिखाया जा रहा है, जो कि परिणाम में एक बड़ी धाँधली की ओर इशारा कर रहा है।
अधिकारियों की मिलीभगत से भर्ती फँसाने के लिए इसमें कई सुराग किए गये हैं जिससे भर्ती अटकी रहे और युवाओं का भविष्य अंधकार में रहे ।
प्रदीप
वार्ता