नयी दिल्ली 22 सितम्बर (वार्ता) भारत और चीन ने अग्रिम मोर्चों पर सैनिकों की संख्या नहीं बढाने , जमीनी हालात में बदलाव न करने तथा सीमा पर शांति एवं स्थिरता कायम करने वाले कदम उठाने पर सहमति व्यक्त की है।
दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में पिछले चार महीने से भी अधिक समय से जारी सैन्य गतिरोध को समाप्त करने तथा स्थिति को सामान्य बनाने के तौर तरीकों पर चर्चा के लिए आज चीन के सीमा क्षेत्र चुशूल मोल्डो में कोर कमांडरों के बीच छठे दौर की बातचीत में यह सहमति बनी। लेह स्थित 14 वीं कोर के कमांडर ले़ जनरल हरिंदर सिंह ने बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उनके साथ विदेश मंत्रालय के एक संयुक्त सचिव भी थे। यह पहला मौका था जब सैन्य कमांडरों की बैठक में विदेश मंत्रालय का एक अधिकारी भी शामिल हुआ था।
मास्को में दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों और फिर विदेश मंत्रियों के बीच हुई बैठक के बाद हुई इस बातचीत में दोनों पक्षों ने उनके राजनीतिक नेतृत्व के बीच बनी सहमति को जमीन पर लागू करने की हामी भरी। बैठक के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि दोनों पक्ष जमीनी स्तर पर संवाद प्रक्रिया को मजबूत बनाने , गलतफहमी से बचने , अग्रिम मोर्चों पर और सैनिक न भेजने , जमीन पर एकतरफा स्थिति बदलने की कोशिश न करने पर भी राजी हुए । उनका कहना है कि दोनों पक्ष ऐसा कोई कदम नहीं उठायेंगे जिससे स्थिति जटिल बने।
दोनों पक्षों के बीच यह भी सहमति बनी कि सैन्य कमांडरों की सातवें दौर की बैठक जल्द ही होगी और दोनों देश सीमा पर शांति तथा स्थिरता बनाये रखने के लिए मिलकर कदम उठायेगी और समस्याओं के समाधान के लिए व्यवहारिक कदम उठायेंगे।
दोनों पक्षों के कोर कमांडरों के बीच पांचवें दौर की वार्ता करीब डेढ महीने पहले चीन के सीमा क्षेत्र चुशूल मोल्डो में ही दो अगस्त को हुई थी। इससे पहले भी दोनों पक्षों के बीच 6 , 22 और 30 जून तथा 14 जुलाई को बातचीत हो चुकी है।
भारत स्पष्ट रूप से कह चुका है कि उसे वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति को बदलने की कोई भी कोशिश बिल्कुल भी मंजूर नहीं है। उसका कहना है कि वह शांति का पक्षधर है लेकिन जहां तक देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता का सवाल है इससे किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जायेगा। भारत ने चीन से जोर देकर कहा है कि उसे वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गत अप्रैल की यथास्थिति कायम करने की दिशा में कदम उठाने होंगे।
संजीव
वार्ता