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लोकरुचि


राधारमण मंदिर में खूब बही श्रद्धा,भक्ति और संगीत की त्रिवेणी

राधारमण मंदिर में खूब बही श्रद्धा,भक्ति और संगीत की त्रिवेणी

मथुरा, 18 मई (वार्ता) वृन्दावन के सप्त देवालयों में प्राचीन राधारमण मंदिर में शनिवार को श्रद्धा, भक्ति एवं संगीत की त्रिवेणी उस समय प्रवाहित होती रही जब मंदिर के मुख्य विग्रह का दूध, दही, बूरा, शहद, घी, औषधियों, वनौषधियों एवं महाऔषधियों से तीन घंटे से अधिक समय तक अभिषेक किया गया।

मंदिर के मुख्य विगृह का आज प्राकट्योत्सव था तथा इसके लिए पहले मंदिर के सेवायत यमुना तट पर जाकर वहां से यमुनाजल लाकर अभिषेक कार्यक्रम की शुरूआत की। अभिषेक के दौरान देशी विदेशी भक्तों द्वारा अनवरत रूप से जहां हरिनाम संकीर्तन किया गया वहीं मंदिर का जगमोहन वैदिक मंत्रों की मधुर घ्वनि से गुंजायमान होता रहा।

मंदिर के सेवायत आचार्य दिनेश चन्द्र गोस्वामी ने बताया कि अभिषेक कार्यक्रम समाप्त होने के बाद मुख्य विगृह के काजल लगाना, यज्ञोपवीत धारण कराना,राई लोन उतारना आदि कार्यक्रम उसी प्रकार सम्पन्न हुए जिस प्रकार एक नवजात शिशु के जन्म पर किये जाते हैं।

इस कार्यक्रम का जहां वह अंश महत्वपूर्ण था जिसमें अभिषेक के बाद गोस्वामीगणों ने वात्सल्य भाव से नन्दबाबा के रूप में कान्हा को दीर्घ आयु का आशीर्वाद दिया वहीं वह अंश भी अति महत्वपूर्ण था जहां श्रंगार के बाद गोस्वामियों ने दास्य भाव से ठाकुर से प्रार्थना की कि उनके चरणों में उनकी यानी गोस्वामियों की अनवरत भक्ति बनी रहे।

उन्होंने बताया कि राधारमण मंदिर का मुख्य श्री विगृह स्वयं प्राकट्य होने के कारण चमत्कारी है। नेपाल की गंडकी नदी में स्नान के दौरान गोपाल भट्ट गोस्वामी को यह मूल विगृह आकाशवाणी होने के बाद प्राप्त हुआ था। चैतन्य महाप्रभु साक्षात राधारमण महराज हैं जिसके अंतःकरण में कृष्ण और वाह्य परिकर में राधारानी विराजमान हैं।

गोस्वामी दिनेशचन्द्र के अनुसार लाला को गर्मी न लगे इसलिए राजभोग आरती घी की बत्ती की जगह फूलों से की गई तथा दूसरे चरण की सेवा में ठाकुर के लिए भव्य फूल बंगला बनाकर 56 भोग ठाकुर को अर्पित किया गया था। आज ठाकुर को तिल एवं गुड़ का विशेष भोग वर्ष में एक बार ही लगाया गया।

सेवा के दोनो ही चरणों में ठाकुर ने जगमोहन में विराजमान होकर भक्तों को जहां दर्शन दिया वहीं मंदिर में दिन भर भक्ति रस की गंगा में हजारों भक्तों ने अवगाहन किया।

सं प्रदीप

वार्ता

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