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लोकरुचि


राधारमण मंदिर में श्रद्धा, भक्ति एवं संगीत की त्रिवेणी

राधारमण मंदिर में श्रद्धा, भक्ति एवं संगीत की त्रिवेणी

मथुरा, 16 जून (वार्ता) वृन्दावन के सप्त देवालयों में मशहूर प्राचीन राधारमण मंदिर में दिव्य ग्रीष्मकालीन निकुंज सेवा में श्रद्धा, भक्ति एवं संगीत की त्रिवेणी बह रही है।


   वृन्दावन के बांके बिहारी मंदिर के श्रीविगृह को जहां स्वामी हरिदास ने प्रकट किया था वहीं राधारमण मंदिर के श्रीविगृह हो चैतन्य महाप्रभु के शिष्य गोपाल भट्ट स्वामी ने प्रकट किया था।

    मंदिर के सेवायत आचार्य सुवर्ण गोस्वामी ने बताया कि इस मंदिर में 22 जून तक चलनेवाली ग्रीष्मकालीन सेवा में एक ओर परंपरागत तरीके से पूजन अर्चन चल रहा है, दूसरी ओर अलग अलग तरीके से ठाकुर की सेवा चल रही है। कोई राग सेवा दे रहा है तो कोई नृत्य सेवा दे रहा है। इस सेवा की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें ठाकुर की विभिन्न लीलाओं को निंकुज लीला के माध्यम से प्रस्तुत किया जा रहा है।

     ब्रज के मशहूर आध्यात्मिक आचार्य एवं राधारमण मंदिर के सेवायत प्रमुख आचार्य श्रीवत्स गोस्वामी ने बताया कि कार्यक्रम की शुरूवात निकुंज लीला भांडीरवन से शुरू हुई थी जहां पर सखियों के आग्रह पर ब्रह्माजी ने भांडीरवन निकुंज में ठा0 राधारमण लाल का विवाह कराया था। पहले दिन से प्रारंभ की गई राग सेवा से मंदिर का वातावरण कृष्णभक्ति से भर ऐसा भरा कि यह कार्यक्रम वृन्दावनवासियों के लिए भी महत्वपूर्ण बन गया।

गोस्वामी ने बताया कि काम्यवन लीला के अन्तर्गत राधारमण लाल काम्यवन निकुंज में पधारते हैं। इस लीला में गंगा अवतरण का भी मनोहारी दर्शन भक्तों को मिला। इस लीला में ठाकुर जी अपनी वन विहार लीला के अन्तर्गत काम्यवन पधारे । यही वह पावन स्थल हैं जहां पर ब्रज गोपियों ने रास विलास की प्राप्ति के लिए साधना की थी। कामेश्वर को गुप्त वृन्दावन भी कहते हैं।

    अब तक हुई निकुंज लीलाओं में एक अन्य मनोहारी लीला में राधारमणलाल कोकिलावन में आम निकुज में पधारे तो प्रिया प्रियतम की सेवा में कोयल , मोर आदि विभिन्न पक्षीगण अपने मधुर स्वरों में गीत गायन करके आनंदित कर रहे थे। नृत्य सेवा में वेणु कला केन्द्र के निर्देशन में  विष्णुप्रिया गोस्वामी ने अन्य कलाकारों के साथ जहां ओडीसी नृत्य प्रस्तुत किया ।

    आचार्य श्रीवत्स गोस्वामी ने बताया कि कोकिलावन सूर्यदेव का स्थान है। सूर्यपुत्री यमुना कृष्ण की पटरानी हैं। उनका कहना था कि सूर्यों में श्रेष्ठ वृषभान जी हैं जिनकी कन्या राधा हैं जिनके उपासना का स्थान कोकिलावन है। उन्होंने बताया कि यहीं पर नटवर नागर श्रीकृष्ण ने श्रीराधा से नृत्य की शिक्षा प्राप्त की थी।

    आचार्य श्रीवत्स गोस्वामी ने बताया कि अगले दिन तालबन में राधारमण लाल ने दामोदर लीला की । यहीं पर ठाकुर जी ने ऊखल बंधन लीलार की थी।

    राधारमण मंदिर के निकुंज उत्सव में केले के पत्तों एवं पुष्प से बना बंगला दर्शनीय हो रहा है जब कि ठाकुर का आशीर्वाद लेने की कवियों, नृत्य और गायन विधा के विशेषज्ञों द्वारा अपनी विधा के माध्यम से सेवा करने की होड़ लग गई है।

    निकुंज महोत्सव में ही ठा राधारमण लाल अनुरागी अजली स्याल ने अपने भक्तिपरक गीेतों का एक संग्रह ठाकुर के श्रीचरणों में निवेदित किया। कुल मिलाकर राधारमण मंदिर में चल रहा महोत्सव तीर्थयात्रियों को ऐसा धार्मिक एवं आध्यात्मिक भोजन परोस रहा है जिसे पाने की आशा में वे चुम्बक की तरह मंदिर की ओर खिंचे चले आ रहे हैं।

सं प्रदीप

वार्ता

   

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