मनोरंजनPosted at: Nov 27 2019 6:36PM राम के किरदार के लिये रिजेक्ट कर दिये गये थे अरुण गोविल
पटना 27 नवंबर (वार्ता) दूरदर्शन के लोकप्रिय सीरियल रामायण में अपने निभाये किरदार ‘राम’ के जरिये दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ने वाले अरुण गोविल का कहना है कि पहले उन्हें राम के किरदार के लिये रिजेक्ट कर दिया गया था।
यूं तो रामायण पर आधारित कई टीवी सीरियल और फिल्मों का निर्माण हुआ है लेकिन जब कभी राम का किरदार जेहन में आता है तो सबसे पहले अरुण गोविल का नाम सबकी जुबान पर आता है। हालांकि रामायण के किरदार के लिये पहले अरुण गोविल को ऑडिशन में रिजेक्ट भी होना पड़ा था। राजधानी पटना में एक कार्यक्रम में शिरकत करने आये अरुण ने बताया कि उन्हें पहले राम के किरदार के लिये रिजेक्ट कर दिया गया था।
अरुण ने बताया कि रामानंद सागर का बहुचर्चित शो 'रामायण' में राम के किरदार के लिये उन्होंने ऑडिशन दिया था लेकिन उन्हें पहले रिजेक्ट कर दिया गया था लेकिन किस्मत को शायद यही मंजूर था कि राम का किरदार वह भी निभाये और बाद में उन्हें रामायण में इस किरदार को निभाने का अवसर मिला और यह उनकी पहचान बन गयी।
रामायण के दौर में अरुण गोविल की लोकप्रियता का आलम यह था कि लोग उन्हें ही भगवान राम समझ लेते थे। उन्हें देख हाथ जोड़ते और उनके पांव छूते। अरुण गोविल ने कहा मैं राम नहीं हूं। केवल रामायण सीरियल का एक पात्र हूं। इस जिम्मेदारी को मैने गंभीरता से निभाया। भगवान राम के अभिनय की अनुभूति अद्भुत है। इसे शब्दों में नहीं बांधा जा सकता। रामायण सीरयिल इतिहास के पन्नों में दर्ज है और इसने लोगों के चरित्र निर्माण में अहम भूमिका निभायी।
अरुण गोविल ने बताया कि रामानंद सागर ने मुझे सबसे पहले सीरियल 'विक्रम और बेताल में राजा विक्रमादित्य का रोल दिया था। इसकी सफलता के बाद 'रामायण में भगवान राम का रोल मिला। बताया जाता है कि 'रामायण' में राम का किरदार निभाना कोई आसान बात नहीं थी। अरुण गोविल को इसके लिए कई चीजों का त्याग करना पड़ा था।रामानंद सागर का ऐसा मानना था कि भगवान राम जिन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में जाना जाता है ऐसे किरदार को परदे पर निभाने वाले इंसान में कोई भी बुरी आदत नहीं होनी चाहिए। लेकिन अरुण गोविल को सिगरेट पीने की लत थी। लिहाजा इस रोल को पाने के लिए अरुण ने सिगरेट की लत को हमेशा के लिये छोड़ दिया।
वर्ष 1997 में प्रदर्शित फिल्म लव-कुश में जीतेन्द्र ने राम जबकि अरुण गोविल ने लक्ष्मण का किरदार निभाया था। अरुण गोविल ने बताया कि फिल्म के निर्माता ने जब उनसे लक्ष्मण का किरदार निभाने की कोशिश की तो मैंने उन्हें यह कहकर मना कर दिया था कि मेरी छवि राम की है और शायद दर्शक इसे ही पसंद करते हैं लेकिन निर्माता के जोर देने पर मैंने लव-कुश में लक्ष्मण का किरदार निभाया लेकिन दर्शकों को फिल्म पसंद नही आयी।
बॉलीवुड और छोटे पर्दे के कई कलाकारों ने राजनीति के क्षेत्र में कदम रखा है। अरुण गोविल ने राजनीति में जाने संबंधी सवाल पर कहा कि उन्हें राजनीति में रुचि है लेकिन उनमें राजनीति में आने जाने का गुण नही है। उन्होंने कहा कि कई राजनीतिक दलों ने उन्हें समय-समय पर राजनीति में शामिल होने के प्रस्ताव दिये हैं लेकिन वह राजनीति में नही आना चाहते हैं।
अरुण गोविल ने अब फिल्मों और टीवी से किनारा कर लिया है। अरुण गोविल ने बताया कि यह जरूरी नही है कि 400 से अधिक फिल्मों में काम कर या अधिक सीरियल में काम कर पहचान बनायी जाये। मुझे लोग रामायण में निभाये किरदार राम के नाम से जानते हैं और यह मेरे लिये गर्व की बात है। अरुण गोविल से पूछा गया कि मौजूदा दौर में यदि रामायाण पर आधारित फिल्म बनायी जाये तो वह किसे राम के किरदार में देखना पसंद करेंगे।अरुण गोविल ने कहा कि इस बारे में उन्होंने नहीं सोंचा है यह तो फिल्म बनने के बाद पता चल सकेगा कि राम का किरदार नये अभिनेता ने कैसा निभाया है।
अरुण गोविल से अयोध्या में राम मंदिर बनाये जाने संबंधी सवाल के जवाब में कहा कि अब तो न्यायालय ने भी राम मंदिर बनाने की अनुमति दे दी है तब वहां अवश्य राम मंदिर बनाया जाना चाहिये। उन्होंने बताया कि वह बिहार कई बार आये हैं।बिहार कला एंव संस्कृति के रूप में जाना जाता रहा है। बिहार में कला एंव संस्कृति को बढ़ावा देने की जरूरत है।
प्रेम सूरज
वार्ता