भारतPosted at: Dec 9 2018 10:46PM राम मंदिर के लिए कानून बनाये सरकार: धर्म संसद
नयी दिल्ली 09 दिसम्बर (वार्ता) देश के विशिष्ट संत-महात्माओं और प्रमुख धार्मिक-सामाजिक संगठनों के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने आज यहां धर्म सभा में केन्द्र सरकार से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की पुरजोर मांग करते हुए इसके लिए कानून बनाने की मांग की है।
मंगलवार से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र से पहले विश्व हिन्दू परिषद द्वारा यहां सोमवार को रामलीला मैदान में बुलायी गयी धर्म संसद में संत महात्माओं, हिन्दू संगठनों तथा सामाजिक संगठनों ने लोकसभा चुनाव से पहले अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को हवा देते हुए भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार पर रविवार को खुलकर निशाना साधा और कहा कि वह मंदिर बनाने के अपने वादे को पूरा करने में विफल रही है।
धर्म सभा की अध्यक्षता करते हुए आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा कि भगवान राम हिन्दू समाज के लिए मुक्ति मंत्र हैं, चेतना हैं। राम मंदिर के लिए देश भर से एकजुट हुए लोगों की भावनाओं को समझकर शासन और न्यायालय को इसका आदर करना चाहिए। उन्होंनें उपस्थित रामभक्तों को राम मंदिर निर्माण के लिए संकल्प भी दिलाया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा कि लोग राम मंदिर की भीख नहीं मांग रहे, बल्कि यह उनका अधिकार तो है ही साथ ही संसद और सरकार का दायित्व भी है। उन्होंने कहा कि सरकार में बैठे दल को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के अपने वादे को पूरा करना चाहिए भले ही इसके लिए उसे संसद में विधेयक ही क्यों न लाना पड़े। उन्होंने कहा कि जो आज सत्ता में बैठे हैं उन्हाेंने राम मंदिर बनाने का वादा किया था। उन्हें जनभावना का सम्मान करना चाहिए।
संघ नेता ने कहा कि लोगों की भावना ‘रामराज्य’ की है और वे कोई भीख नहीं मांग रहे हैं। वे अपनी भावनाओं को व्यक्त कर रहे हैं। उच्च्तम न्यायालय में इस मामले की सुनवाई के बारे में उन्होंने कहा कि न्यायालय की प्रतिष्ठा बनी रहनी चाहिए लेकिन न्यायालय को भी जनभावना पर विचार करना चाहिए।
महामंडलेश्वर स्वामी परमानंद महाराज ने कहा कि संत किसी की चापलूसी नहीं करते। उन्होंने सरकार को दो टूक चेतावनी देते हुए कहा कि अगर मंदिर नहीं बना तो राम भक्त चुप नहीं बैठेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा पर चुनाव के दौरान राम मंदिर उठाने का आरोप लगाने वाले दलों को मंदिर निर्माण में सहयोग कर इस मुद्दे को ही समाप्त कर देना चाहिए।