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राष्ट्रीय-नायडू सबक तीन अंतिम प्रयागराज

श्री नायडू ने उपस्थित युवाओं को अपने भीतर की हर शंका, दुर्बलता काे त्याग कर परिवर्तन के क्षेत्र में अपना योगदान देने की वकालत की। उन्होंने कहा कि पहले लोक सोचते थे कि सब काम सरकार का है लेकिन अब लोग सोचते हैं यह हमारा कर्तव्य भी है। प्रयागराज के कुंभ को यहां के लोगों ने अपना माना और अपना भरपूर योगदान दिया जिसके कारण इतना बडा और महत्वपूर्ण कार्यक्रम सफल हुआ।
महाकुंभ में आये श्रद्धालुओं को गंगा और अन्य नदियों को कैसे अविरल और निर्मल बनाये रखा जाए, इसके बारे में जागृत करें। गंगा के किनारे बसे हर नगर के नागरिकों का पावन दायित्व है, केवल सरकार का ही दायित्व नहीं है।
प्रयागराज समेत कुम्भ क्षेत्र को स्वच्छ और सुन्दर बनाने की दिशा में राज्य सरकार का यह प्रयास विस्मरणीय है। प्रयागराज कुम्भ अपनी दिव्यता और भव्यता के कारण देश एवं दुनिया में सभी लोगों द्वारा सराहा जा रहा है। उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार के प्रयासों से ही श्रद्धालुओं को इस कुम्भ में अक्षयवट और सरस्वती कूप का दर्शन लाभ मिल रहा है।
इससे पहले श्री नायडू ने पतित पावनी गंगा में आध्यात्मिक स्नान (गंगा जल आचमन) किया। उसके बाद विधि-विधान से पूजा किया। श्री नायडू ने गंगा तट के किनारे लेटे हनुमान जी का दर्शन किया और उसके बाद उन्होंने 450 साल से बन्द अक्षय वट और सरस्वती कूप का दर्शन किया और बार में परमार्थ निकेतन में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने प्रस्थान किया।
दिनेश प्रदीप
वार्ता
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