भारतPosted at: Sep 17 2019 10:22PM रक्षा क्षेत्र में भारत का निर्यात सात गुना बढा : राजनाथ
नयी दिल्ली 17 सितम्बर (वार्ता) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि सरकार देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ एक बड़ा निर्यातक बनाने के लिए प्रयासरत है और पिछले वित्त वर्ष में 10 हजार 745 करोड़ रूपये का निर्यात किया गया है।
श्री सिंह ने यहां सोसायटी ऑफ इंडियन डिफेंस मेन्यूफैक्चर्स (सिडम) के दूसरे वार्षिक सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि रक्षा क्षेत्र में प्रक्रिया को सरल बनाने के सरकार के प्रयासों के सकारात्मक परिणाम आ रहे हैं। पिछले वित्त वर्ष में रक्षा क्षेत्र में 10 हजार 745 करोड़ रूपये का निर्यात किया गया है जो वर्ष 2016-17 की तुलना में सात गुना अधिक है। सरकार ने अगले पांच वर्ष में निर्यात को 5 अरब डालर तक ले जाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने रक्षा विनिर्माण के क्षेत्र में लगी कंपनियों को सरकार की ओर से हरसंभव मदद का आश्वासन दिया।
उन्होंने कहा कि सरकार नये सुझावों के लिए तैयार है और वह रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों की ऊर्जा तथा क्षमता का फायदा उठाने से पीछे नहीं हटेगी। रक्षा उद्योग को अपनी चुनौतियों को सरकार के साथ साझा करना होगा जिससे कि उनका समाधान किया जा सके। उन्होंने कहा कि देश में सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग की मजबूती को देखते हुए सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) पर जोर देने के लिए एक रोड मैप बनाया है जिससे भारत एआई के क्षेत्र में एक बड़ी ताकत बन सके। सरकार वर्ष 2024 तक रक्षा से संबंधित 25 एआई उत्पाद विकसित करने की योजना बना रही है।
रक्षा क्षेत्र में निजी भागीदारी बढाने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए एक नयी नीति ला रही है जिसमें रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) निजी क्षेत्र के रक्षा उद्योगों को आसानी से प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण कर सकेगा।
उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का थीम ‘ मेक इन इंडिया : वर्ष 2025 तक 26 अरब डालर का रक्षा उद्योग ’ तर्कसंगत है और यह सरकार की आकांक्षाओं तथा विजन के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए रक्षा उत्पादन तथा विनिर्माण क्षेत्र को 15 प्रतिशत की दर से विकास करना होगा। अभी भारतीय अर्थव्यवस्था 27 खरब डालर है और हमारा लक्ष्य इसे 2024 तक 50 खरब डालर और 2030-32 तक 100 खरब डालर करने का है।
संजीव
वार्ता