Friday, Mar 29 2024 | Time 06:47 Hrs(IST)
image
फीचर्स


रमणरेती में होली की तैयारी को दिया जा रहा अंतिम रूप

रमणरेती में होली की तैयारी को दिया जा रहा अंतिम रूप

मथुरा, 24 फरवरी (वार्ता) उत्तर प्रदेश के मथुरा के ब्रज के मदिरों में जहां अब होली की बयार तेज बह चली है वहीं आश्रम रमणरेती में होली की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

बांके बिहारी मंदिर अथवा गोवर्धन का दानघाटी मंदिर या मुकुट मुखारबिन्द मंदिर अथवा बरसाना का लाड़ली जी मंदिर या कीर्ति किशोरी मंदिर बरसाना सभी जगह सेवायतों की होली ठाकुर से हो रही है। ठाकुर को गुलाल लगाकर फिर उसी गुलाल को प्रसाद स्वरूप भक्तों पर डाला जा रहा है अथवा भक्तों को यह प्रसाद स्वरूप दिया जा रहा है।

दानघाटी मंदिर के सेवायत आचार्य महेश शर्मा ने बताया कि मदिर में राजभोग दर्शन के पहले ठाकुर से होली होती है तथा गुलाल को भक्तों में प्रसाद स्वरूप वितरित किया जा रहा है जिसे भक्त श्रद्धा भाव से अपने घर ले जा रहे हैं।

वैसे ब्रज में होली की शुरूआत रमणरेती से होती है। रमणरेती आश्रम के संत गोविन्दानन्द महराज ने बताया कि इस

बार 27 फरवरी को रमणरेती आश्रम में होली खेली जाएगी। पहले श्यामाश्याम की फूलों की होली होगी और उसके बाद सामान्यजनों की ठाकुर के साथ रंग की होली होगी।

यहां की होली में न केवल रंग के फौव्वारे चलते हैं बल्कि बड़ी बड़ी पिचकारी से भक्तों पर टेसू का रंग डाला जाता है।

इस बार विशेषरूप से आर्गैनिक गुलाल यानी बिना केमिकल का तैयार किया गया है जिससे त्वचा पर विपरीत असर न डाले।

रमणरेती में होनेवाली होली के लिए पांच कुंतल टेसू के फूल, 10 कुंतल गुलाब के फूल, 10 कुंतल मार्गेट के फूल, 10 कुंतल केमिकल विहीन आर्गेनिक गुलाल मंगाया गया है। रमणरेती आश्रम की होली गरिमापूर्ण तरीके से होती है तथा इस होली में ब्रज की कुछ अन्य होलियों के भी दर्शन हो जाते हैं। यहां पर होली पूर्वान्ह 11 बजे शुरू होती है और दो घंटे से अधिक समय तक चलती है। इसमें आश्रम पीठाधीश्वर गुरूशरणानन्द महराज समेत अन्य संत भी होली खेलते हैं। वास्तव में ब्रज में खेली जानेवाली इस साल की होली में यह पहली होली होगी। हर साल सबसे पहले यहां की होली होती है और बरसाने की लठमार होली इसके बाद खेली जाती है।

लाड़ली मंदिर बरसाना के रिसीवर कृष्ण मुरारी गोस्वामी के अनुसार इस बार बरसाना की होली 3 मार्च और 4 मार्च को होगी। नन्दगांव का पंडा तीन मार्च को बरसाना आएगा जहां वह गोपियों को होली खेलने का निमंत्रण देगा तथा इस

खुशी में मंदिर में लड्डू होली होगी। अगले दिन नन्दगांव के हुरिहार होली खेलने के लिए बरसाने आएंगे तथा बरसाने की गोपियां रंगीली गली में उनके साथ लठमार होली खेलेंगेी। 5 मार्च को बरसाने के गोस्वामी नन्दगांव जाएंगे जहां पर वे नन्दगांव की गोपियों से नन्दबाबा मंदिर और नन्द चौक में होली खेलेंगे।

श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के जनसंपर्क अधिकारी विजय बहादुर सिंह के अनुसार 6 मार्च यानी रंगभरनी एकादशी के दिन श्रीकृष्ण जन्मस्थान की अनूठी होली होगी जिसमें ब्रज की सभी प्रकार की होलियों के दर्शन होते हैं। प्राचीन केशवदेव मंदिर में इसी दिन लठमार होली खेली जाएगी। इसी दिन वृन्दावन की निराली होली होती है।

बांकेबिहारी मंदिर के सेवायत आचार्य शशांक गोस्वामी ने कहा कि मंदिर मे 24 फरवरी से विशेष सेवा उत्सव शुरू हो रहा है । वर्तमान में तो ठाकुर के कपोलों पर केवल गुलाल लगाया जा रहा है किंतु रंग भरनी एकादशी यानी 6 मार्च से

मंदिर में फूल और रंग के साथ सब रस होली का कार्यक्रम होगा तथा 10 मार्च को फूलडोल का आयोजन होगा।इस दौरान भक्त ठाकुर से ऐसी होली खेलते हैं कि मंदिर का वातावरण इन्द्रधनुषी बन जाता है।

राधा बल्लभ मंदिर के सेवायत आचार्य मोहित गोस्वामी के अनुसार ठाकुर जी स्वयं बग्धी में सवार होकर ब्रजवासियों से होली खेलने के लिए निकलते हैं और इस दिन वृन्दावन की गलियां रंग से रंगीन हो जाती हैं। इसी दिन से वृन्दावन के सप्त

देवालयों एवं बांकेबिहारी मंदिर में भी रंग की होली शुरू हो जाती है। इसके बाद गोकुल, महाबन,बल्देव, जटवारी, फालेन, मुखराई, जाब, बठेन, अहमलकलां आदि की होली विभिन्न प्रकार से होती है । मुखराई में चरकुला नृत्य होता है तो बल्देव में गोपियां गोपों की पिटाई रंग से भीगे कपड़ो से करती है। इसे होली न कहकर इसे हुरंगा कहा जाता है और लठमार होली

होती है। कुल मिलकार समूचे ब्रजमंडल में होली की मस्ती छाने लगी है।

सं विनोद

वार्ता

There is no row at position 0.
image