भारतPosted at: Feb 21 2019 6:16PM लाखों आदिवासियों को बेदखल किये जाने पर मोदी को पत्र
नयी दिल्ली 21 फरवरी (वार्ता) मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर 22 लाख आदिवासियों को जंगल से बेदखल किये जाने के फैसले पर उनसे इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की और अध्यादेश जारी करने का अनुरोध किया है।
पार्टी पोलित ब्यूरो की सदस्य एवं पूर्व सांसद वृंदा करात ने श्री मोदी को लिखे पत्र में यह मांग की है। गौरतलब है कि कल उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में इन आदिवासियों को जंगल की जमीन से बेदखल करने का आदेश दिया।
अदालत ने वन अधिकार कानून को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई करते हुए वाइल्ड लाइफ फर्स्ट बनाम वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के मुकदमे में अदालत ने यह फैसला सुनाया।
श्रीमती करात ने पत्र में लिखा है कि दिसम्बर 2018 तक जंगलों में वर्षों से रह रहे 42 लाख 19 हज़ार आदिवासियों ने अपनी रिहायशी जमीन के दावे किये गये थे जिनमें 18 लाख 89 हज़ार आदिवासियों के दावे स्वीकार किये गये और इस तरह 23 लाख 30 हज़ार आदिवासियों के दावे नामंजूर कर दिए गये। इसका मतलब ये सभी जंगलों से बेदखल कर दिए जायेंगे, जबकि ये वर्षों से वहां रह रहे थे।
पत्र में कहा गया है कि अदालत ने जब फैसला सुनाया तो केंद्र सरकार का वकील भी मौजूद नहीं था। इससे पता चलता है कि याचिकाकर्ता और सम्बन्ध मंत्रालय आपस में मिल गये थे। इस मुकदमे के कई याचिकाकर्ता अवकाश प्राप्त अधिकारी हैं और इन वर्षों में सरकारी वकीलों ने मजबूत तरीके से मुकदमा नहीं लड़ा।
पत्र के अनुसार वन अधिकार की धारा-चार(पांच ) के तहत किसी भी आदिवासी को बिना किसी उचित प्रक्रिया के बेदखल नहीं किया जा सकता है। लेकिन आदिवासियों को बेदखल कर उनकी ज़मीन कंपनियों को दी जा रही है इसलिए इन आदिवासियों के दावों की जांच के लिए कोई तटस्थ निकाय गठित हो और वह सबकी जांच करे क्योंकि यह काम मंत्रालय नहीं कर सकता है। पत्र में कहा गया है कि आपकी सरकार ने वन कानून को कमजोर करने के लिए कई कानून बनाये जिनमें खनन कानून अनिवार्य वनीकरण कानून शामिल हैं और लारा कानून 2013 को भी संसोधित किया गया। इसलिए आपसे अनुरोध करती हूँ कि आप एक अध्यादेश लायें। आप वैसे भी कई मुद्दों पर अध्यादेश लाये हैं।