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लंबे संघर्ष के बाद बॉलीवुड के ‘सूरमा’ बने जगदीप

मुंबई, 08 जुलाई (वार्ता) अपने जबरदस्त कॉमिक अभिनय से दर्शकों के दिलों में गुदगुदी पैदा करने वाले हंसी के बादशाह जगदीप ने बॉलीवुड में पांच दशक से अधिक समय तक राज किया लेकिन उन्हें अपनी पहचान बनाने के लिये काफी संघर्ष का सामना करना पड़ा।
मध्यप्रदेश के दतिया में 29 मार्च, 1939 को जन्में जगदीप का मूल नाम सैयद इश्तियाक अहमद जाफरी था। उनके पिता वकील थे। जगदीप जब आठ साल के थे तो पिता का निधन हो गया। देश का विभाजन हुआ, तो परिवार तितर-बितर हो गया। ऐसे में जगदीप अपनी मां के साथ बंबई (वर्तमान मुंबई) आ गये। जगदीप का मन पढ़ाई में नहीं लगता था, ऊपर से पैसों की तंगी के कारण उनका पढ़ाई से मन उचट गया। पढ़ाई छोड़ वह काम की तलाश में लग गए और सड़कों पर कंघी बेचना शुरू कर दिया।
जगदीप ने अपने सिने करियर की शुरुआत फिल्मकार बी. आर. चोपड़ा की वर्ष 1951 में प्रदर्शित फिल्म 'अफसाना' से बतौर बाल कलाकार के रूप में की। जगदीप ने इस फिल्म में सिर्फ इसलिए काम किया क्योंकि कंघी बेचकर दिनभर में वह जितना कमा पाते थे, फिल्म में उन्हें उससे दोगुना मिल रहा था। इसके बाद जगदीप ने बतौर बाल कलाकार लैला मजनूं , मुन्ना और आरपार जैसी फिल्मों में काम किया। विमल रॉय की फिल्म 'दो बीघा जमीन' से जगदीप फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गये। फिल्म 'हम पंछी एक डाल के' में जगदीप के काम को लोगों ने काफी सराहा और भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी जगदीप की तारीफ की थी।
प्रेम सूरज
जारी वार्ता
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