लखनऊ, 17 जुलाई (वार्ता) उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को राजभवन में स्थापित स्वामी विवेकानन्द की भव्य कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया।
इस मौके श्री नाईक ने घोषणा की कि स्वामी विवेकानन्द की मूर्ति के दर्शन के लिए राजभवन के दरवाजे आम दर्शकों के लिये 17 से 19 जुलाई तक शाम पांच बजे से सात बजे तक खुले रहेंगे।
राज्यपाल ने प्रतिमा के अनावरण के बाद अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके पांच साल के कार्यकाल का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि, ‘मेरा मानना है कि मेरे कार्यकाल में आज का दिन सबसे स्वर्णिम दिवस है। देश के किसी भी राजभवन में स्वामी विवेकानन्द की मूर्ति नहीं है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश पहला प्रदेश है जहां राजभवन में स्वामी विवेकानन्द की प्रतिमा लगाई गई है। प्रतिमा के साथ राजभवन की प्रतिष्ठा भी बढ़ी है। कल्पना को साकार करना मुश्किल कार्य है, मुख्यमंत्री ने मेरी सलाह को स्वीकार किया, इसलिये उनका अभिनन्दन करता हूँ। राजभवन में प्रतिमा की स्थापना मेरे लिये सुखद स्मृति है जो सदैव जीवंत रहेगी।’
श्री नाईक ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द के विचार ‘पावर हाउस’ हैं जो नये विचारों की ऊर्जा देता है। स्वामी विवेकानन्द ने 30 वर्ष की अल्पायु में शिकागो के सर्वधर्म सम्मेलन में भारतीय संस्कृति की चर्चा करते हुए कहा था कि भारतीय संस्कृति में सबको समाहित करने की क्षमता है। स्वामी विवेकानन्द ने यह बात उस समय कही थी जब विकसित देश भारतीयों के प्रति सम्मानजनक दृष्टि नहीं रखते थे। ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के माध्यम से उन्होंने पूरा विश्व एक परिवार है की नई अवधारणा रखी। स्वामी विवेकानन्द का सन्देश महत्व रखता है, उन्होंने कहा था कि उठो, जागो और तब तक मत रूको, जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाये। हमारी युवा पीढ़ी धैर्य, नम्रता, बिना पक्षपात एवं आपसी सौहार्द का संकल्प करें।
राज्यपाल ने मूर्तिकार एवं अध्यक्ष राष्ट्रीय ललित कला अकादमी उत्तम पाचारणे का परिचय देते हुए कहा कि महाराष्ट्र निवासी उत्तम पाचारणे ने स्वामी विवेकानन्द की पहली मूर्ति बोरिवली में बनाई थी। उन्होंने पाचारणे के संघर्ष के दिनों की चर्चा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि मजदूर का बेटा अपनी कला के आधार पर कैसे राष्ट्रीय ललित कला अकादमी का अध्यक्ष बनता है, यह उनके कौशल का परिणाम है।
त्यागी
जारी वार्ता